भूत को छोड़ वर्तमान में जियें , भविष्य उज्जवल ही होगाभूत को छोड़ वर्तमान में...
प्रत्येक व्यक्ति व्यवहार और वाणी की मधुरता के कारण ही पूज्य होता है, उसके जीवन से दौलत, मित्र, पत्नी और राज्य यदि चला जाए तो वापिस आ सकता है। लेकिन यदि आपकी आत्मा इस तन से एक बार निकल गई तो दोबारा उस...
View Articleमानसिकता से ही बनती है परिवार में दूरियाँमानसिकता से ही बनती है परिवार में...
आज हमारा यह समाज बदलता सा जा रहा है. लोग आज समाज से तो क्या अपने परिवार से दूरियाँ बना रहे है .आज इस दौर में हमारी महत्वाकांक्षाएं , जरूरतें इतनी बढ़ती जा रही है. की हम उनकी पूर्ति के लिए कुछ भी करने...
View Articleहम किसी की बहन की रक्षा करते हैं, तो कल कोई हमारी बहन की रक्षा करेगाहम किसी...
एक व्यक्ति और उसकी फैमिली परेशान थी. दरअसल उस क्ति की बहन नेहा कॉलेज से अब तक घर नहीं आयी थी. रोजाना 2 बजे वह घर पर आ जाती थी, लेकिन आज उसे बहुत देर हो गयी थी. आखिरकार शाम को जब वह घर आयी, तो उसने...
View Articleचोर ने भेजा माँ को मनीआडर्रचोर ने भेजा माँ को मनीआडर्र
एक व्यक्ति की नौकरी छूट चुकी थी, वह समझ नहीं पा रहा था की वह अपनी माँ को कैसे बताये की उसकी रोजी रोटी छीन चुकी थी इसी सोच को लेकर वह बस से उतरकर जेब में हाथ डाला। वह चौंक पड़ा। जेब कट चुकी थी। जेब में...
View Articleउम्मीद के संयोग से ही जीवन खूबसूरत बनता हैउम्मीद के संयोग से ही जीवन खूबसूरत...
छोटी-छोटी बातें भी जीवन की गहराई को बयां कर देती हैं। ऐसी ही छोटी-छोटी बाते यहां पर प्रस्तुत हैं, जो जीवन को खूबसूरत बनाने में बेहद मददगार हैं। एक बार किसी गांव में सूखा पड़ा। गांव वालों ने यह निर्णय...
View Articleखुद को जाना तो हुआ जीवन सुहानाखुद को जाना तो हुआ जीवन सुहाना
इस संसार में मानव बहुत सी वस्तुओं ,लोगों ,आदि को तो जान लेता है .पर उसे अपने आप का पता नहीं होता की में क्या हूँ? और क्यों अाया हूँ इस संसार सागर में ? आज का मानव खुद के अंदर नहीं झाकता की हम क्या है...
View Articleजानें - क्या है सत्य और सनातनजानें - क्या है सत्य और सनातन
सत्य वह है जो हमेशा एकरूप में स्थित रहता है। उसमें अटलता होती है. जो वास्तविकता को लेकर चले वही सत्य है .सत्य किसी भी काल, किसी भी युग और किसी भी परिस्थिति और समय के अनुरूप परिवर्तित नहीं होता है...
View Articleजब भगवान ने की नारी की रचनाजब भगवान ने की नारी की रचना
जब भगवान स्त्री की रचना कर रहे थे, तब उन्हें काफी समय लग गया। आज छठा दिन था और स्त्री की रचना अभी भी अधूरी थी। इसलिए देवदुत ने पुछा भगवान आप इस रचना में इतना समय क्यों ले रहे हे भगवान ने जवाब दिया...
View Articleतजुर्बे के बिना जीवन असम्भवतजुर्बे के बिना जीवन असम्भव
जब मैं 3 वर्ष का था तब मैं यह सोचता था की मेरे पिता दुनिया के सबसे मजबूत और ताकतवर इंसान हैं । जब मैं 6 वर्ष का हुआ तब मैंने महसूस किया की मेरे पिता दुनिया के सबसे ताकतवर ही नहीं सबसे समझदार इंसान भी...
View Articleहमारे देश में असहिष्णुता का क्या अर्थ हे?हमारे देश में असहिष्णुता का क्या...
टीचर : मोहन चलो खड़े हो जाओ, असहिष्णुता पर एक निबंध सुनाओ मोहन : टीचर जी असहिष्णुता 2 प्रकार की होती है एक अच्छी असहिष्णुता और दूसरी बुरी असहिष्णुता टीचर : जरा विस्तार से सुनाओ मोहन : टीचर जी अभी कुछ...
View Articleहर भारतवासी के मन में बसता है भारत देशहर भारतवासी के मन में बसता है भारत देश
भारत में गॉंव है, गली है, चौबारा है, इंडिया में सिटी है, मॉल है, पंचतारा है । भारत में घर है, चबूतरा है, दालान है, इंडिया में फ्लैट और मकान है। भारत में काका है, बाबा है, दादा है, दादी है, इंडिया में...
View Articleसास भी माँ ही होती हैसास भी माँ ही होती है
आरती नामक एक युवती का विवाह हुआ और वह अपने पति और सास के साथ अपने ससुराल में रहने लगी। कुछ ही दिनों बाद आरती को आभास होने लगा कि उसकी सास के साथ पट नहीं रही है। सास पुराने ख़यालों की थी और बहू नए...
View Articleजानें आत्मा अजर और अमर है क्योंजानें आत्मा अजर और अमर है क्यों
धार्मिक शास्त्रों और ग्रंथों में यह बात आती है. की यह आत्मा ईश्वर का ही अंश है। बस इसी वजह से यह ईश्वर की ही तरह अजर और अमर है। जिस तरह ईश्वर का स्वरूप हमें दिखाई नहीं देता बस हम एक इमेज बना लेते है....
View Articleगुप्तचरों की यह कहानी जो है सदियों पुरानीगुप्तचरों की यह कहानी जो है सदियों...
जासूस, जिसे हम गुप्तचर के नाम से भी जानते है। ये गुप्तचर आज नहीं सदियों से चले आ रहे है गुप्तचर का मतलब जिसे कोई न जाने और वे सभी के बारे में जान लें। आप जानते ही होगें की पौराणिक काल के शुरुआत से ही...
View Articleक्रोध से ही बनता है बुराइयों का अचार या मुरब्बाक्रोध से ही बनता है बुराइयों...
इस जगत में प्रत्येक प्राणी का अपना अपना कोई न कोई स्वभाव होता है. और वह अपने इस स्वभाव के मुताबिक ही अपने जीवन की शैली को आगे बढ़ाता है , हर किसी के जीने की प्रवृति अलग अलग होती है . मानव एक सामाजिक...
View Articleजीवन में हो जाऐं गलतियां तो ऐसे सुधारेंजीवन में हो जाऐं गलतियां तो ऐसे सुधारें
व्यक्ति अक्सर जीवन में गलतियां कर देता है। कुछ गलतियां कार्य स्थल में होती हैं, कुछ गलतियां जीवन में होती हैं लेकिन गलती करने के बाद जब उसे गलतियों का अहसास होता है तो उसे अपराध बोध होने लगता है। वह...
View Articleकर्मों की श्रेष्टता में ही निहित है मानव की प्रतिष्ठाकर्मों की श्रेष्टता में...
कर्मों से ही मानव को सदगति और दुर्गति का सामना करना पड़ता है.मानव के कर्म ही उसे सुख और दुःख की और ले जाते है. मानव जीवन में उसके कर्मों की ही तो प्रधानता है. जो उसे उचाईयों तक ले जाते है . हमें अपने...
View Articleअहंकार ही मानव को नीचे गिराता हैअहंकार ही मानव को नीचे गिराता है
मानव जीवन में यदि किसी वस्तु , धन -दौलत , नौकरी जैसी चीजों की प्राप्ति हुई तो उसे अहम की भावना आ जाती है. ऐसे कुछ ही लोग होते है . वास्तविक रूप से इस संसार में लोगो को तीन ही चीज का विशेष अहंम होता है...
View Articleजिंदगी की राह पर जीने का ढंगजिंदगी की राह पर जीने का ढंग
व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन में किसी न किसी समस्या का सामना करना ही होता है .ये समस्याएं तो मानव के जीवन का हिस्सा हैं। वे आएंगी और चली जाएंगी। कई बार यह होता है की किसी न किसी समस्या को लेकर इतने परेशान...
View Articleजब उम्र 16 की थी और 2 बटन खुले थेजब उम्र 16 की थी और 2 बटन खुले थे
जब सुबह की चाय से ज्यादा, दोस्त की ही ज़रूरत थी. और 5 स्टार के खाने के मज़े लंच ब्रेक की पूड़ी सब्जी में लिए थे. यह बात है उन दिनों की, जब उम्र 16 की थी और 2 बटन खुले थे. जब ऊपर का बटन बंद करने पर, गला...
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