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खुद को जाना तो हुआ जीवन सुहानाखुद को जाना तो हुआ जीवन सुहाना

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इस संसार में मानव बहुत सी वस्तुओं ,लोगों ,आदि को तो जान लेता है .पर उसे अपने आप का पता नहीं होता की में क्या हूँ? और क्यों अाया हूँ इस संसार सागर में ? आज का मानव खुद के अंदर नहीं झाकता की हम क्या है .बल्कि दूसरों के दोषों को पकड़ना उनके गुणों को छिपाना यहीें तक उसकी जिंदगी सिमटती जा रही है .

इसी के चलते आप क्या और क्यों को इस कहानी के माध्यम से जान सकते है - 

एक बार एक व्यक्ति ने एक संत जी से पूंछा की आप मुझे यह बताएँ की 'ईश्वर का स्वरूप क्या है?"तभी संत जी ने कहा की पहले तुम यह बतलाओ की 'क्या तुम अपना स्वरूप जानते हो?"कुछ देर वह सोच में  पड़ गया और फिर बोला नहीं में नहीं जानता , तब संत बोले की 'जब तुम अब तक अपने आप को अपने इस स्वरूप को नहीं जान सके, जो केवल एक है. तो इस सम्पूर्ण जगत के पालन हार को कैसे जान सकते हो, उनके इस स्वरूप को कैसे जान सकोगे!

जब खुद को जान लोगे तभी संभव है. ईश्वर तुम्हारे अंतर्मन में ही निहित है.आज आपने देखा होगा की मनुष्य का यह स्वभाव-सा बन गया है. कि पहले वह दूसरी चीजों को जानना चाहता है, जबकि खुद उसके पास क्या है, इससे वह अनभिज्ञ रहता है. आज यह हाल है, इस मानव का की वह खुद को छोड़ दूसरों को देखता है . उसके जीवन में क्या उतार चढ़ाव आये इसका कोई जिक्र ही नहीं बल्कि दूसरों को देख परेशान रहता  है.

यदि हम स्वयं को और स्वयं के दोषों को देख आगे बढ़गें तो हम अपने जीवन में सफलता को हासिल करेंगे. आज इस समाज में लोग स्वयं को छोड़ दूसरों की गलतियां देखते है. यदि दूसरों ने कुछ प्रगति कर ली तो उसे देख जलन की भावना प्रगट करते है. और उसे देख खुद परेशान से रहते है.वे अपने आप को नहीं देखते की हमने तो मेहनत ही नहीं की इन्ही सभी बातों से वाक़िब ही नहीं होते .

पर जिसने अपने अंदर झांका है ,उसने अपने दोषो को जाना है, और उसी का जीवन सफल हुआ है .सैतान तो हमारे मन में ही बैठा है, लेकिन हम उसे भगाने की बजाय पालते रहते हैं. और उसकी तारीफ करते रहते हैं. भीतर बैठे उस शैतान को बाहर  निकालें  और अपने मन का शुद्धीकरण करें. इससे ही आपके जीवन में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।


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