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ऐसे लोगों को भूलकर भी नहीं पहनना चाहिए काला धागा, वार्ना हो सकता है ऐसाऐसे लोगों को भूलकर भी नहीं पहनना चाहिए काला धागा, वार्ना हो सकता है ऐसा

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काले धागे को अक्सर टोना-टोटका से जोड़ा जाता है। परन्तु यह पूर्ण सत्य नहीं है। दरअसल, काले धागे का संबंध वैदिक ज्योतिष से भी है और ज्योतिष में इसका ख़ास महत्व भी है। वही आपने यह देखा होगा कि जब किसी को बुरी नज़र या बुरी शक्तियां परेशान करती हैं तो अक्सर उन्हें काले धागे को बांधने की सलाह दी जाती है। परन्तु सवाल ये है कि क्या हर किसी को काला धागा पहनना चाहिए। इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र में काले धागे को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं।

इसके अलावा वैदिक ज्योतिष के मुताबिक मेष और वृश्चिक राशि के जातक अगर काला धागा पहनते हैं तो उनके जीवन में परेशानियां आने के आसार रहते हैं। इसके अलावा व्यक्ति निर्णय लेने में असहजता महसूस करता है। काला धागा से इन राशि वालों के मन में बेचैनी का भाव रहता है। वही यह इनके जीवन में असफलता का कारण भी बन सकता है। वही इसलिए इन राशि के जातकों को कभी भी काला धागा नहीं पहनना चाहिए। इसके अलावा काला धागा न केवल बुरी नज़र से बचाता है, बल्कि यह शनि ग्रह को भी मजबूत करता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 12 राशियों में ऐसी 2 राशियां हैं जिनके लिए काला धागा अनुकूल नहीं माना जाता है। 

इन दो राशियों में एक राशि मेष है तो दूसरी वृश्चिक है। दरअसल, इन दोनों ही राशियों का अधिपति मंगल है और मंगल को काला रंग पसंद नहीं है। मंगल ग्रह को लाल रंग प्रिय है। वही इसका रंग भी लाल है। यह सेना, भूमि, युद्ध और सैन्य शक्ति का कारक है। वहीं तुला, मकर और कुंभ राशि के जातकों के लिए काला धागा बहुत ही शुभ होता है। इसके साथ ही तुला शनि की उच्च राशि है। वहीं मकर और कुंभ राशि का मालिक शनि है। इन राशि के जातकों को काला धागा पहनने से रोजगार में तरक्की मिलती है। काले धागे को धारण करने से इनके जीवन से दरिद्रता दूर जाती है।

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फाल्गुन मास हुआ शुरू, मौसम गर्म होने लगता है और सर्दी की होती है विदाईफाल्गुन मास हुआ शुरू, मौसम गर्म होने लगता है और सर्दी की होती है विदाई

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हिंदू पंचाग का आखिरी महीना फाल्गुन मास होता है। इसके अलावा इसको फागुन मास भी कहा जाता है। इस माह के बाद हिंदू नववर्ष का प्रारंभ हो जाता है।इसके अलावा हिंदू पंचाग के मुताबिक नववर्ष का पहला महीना चैत्र और आखिरी फाल्गुन होता है। इस साल फाल्गुन का महीना 10 फरवरी सोमवार से प्रारंभ हो रहा है, जिसका समापन 9 मार्च को होगा। इसके अलावा इस दौरान कई बड़े त्यौहार और तिथियां होगी और उन तिथि त्यौहारों पर देवी-देवता की आराधना की जाएगी। वही इस मास के प्रारंभ होते ही मौसम गर्म होने लगता है और सर्दी की विदाई होने लगती है। 

वही फाल्गुन मास में बसंत ऋतु का समय होता है इसलिए चारों और छटा काफी निराली होती है। वही फाल्गुन मास में महादेव का प्रिय त्यौहार महाशिवरात्रि आता है। वही इसके साथ ही रंगों का त्यौहार होली भी इसी महीने आता है। इसके अलावा महाशिवरात्रि पर जहां शिव पूजा का विशेष विधान है तो होली के अवसर पर देश का हर कोना रंगों से सराबोर रहता है। वही शास्त्रोक्त मान्यता है कि फाल्गुन मास की पूर्णिमा को महर्षि अत्रि और देवी अनुसूया से चंद्रमा की उत्पत्ति हुई थी। इस कारण इस दिन चंद्रमा की विशेष आराधना कर चद्रमा से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना की जाती है। 

वही फाल्गुन मास की द्वादशी तिथि का भी विशेष महत्व है। यदि फाल्गुन द्वादशी श्रवण नक्षत्र युक्त हो तो इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से उनकी कृपा मिलती है।फाल्गुन मास की पूर्णिमा को दक्षिण भारत में उत्तिर नाम का मंदिरोत्सव मनाया जाता है। वही फाल्गुन कृष्ण अष्टमी को देवी लक्ष्मी और सीता की विशेष पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा  फाल्गुन मास में सामान्य जल से स्नान करना चाहिए। भोजन हल्का लेना शुरू करना चाहिए। अनाज कम और फल ज्यादा खाना चाहिए। उत्तम वस्त्र धारण कर सुंगध का प्रयोग करें।इसके  तामसिक आहार से परहेज करें और नशे का त्याग करें। भगवान श्रीकृष्ण की आराधना विभिन्न तरह के सुगंधित फूलों से करें।

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Kumbh sankranti : कुंभ संक्रांति का आपकी राशि पर पड़ सकता है असरKumbh sankranti : कुंभ संक्रांति का आपकी राशि पर पड़ सकता है असर

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13 फरवरी 2020 को सूर्य कुंभ राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इसके अलावा सूर्य के शुभ प्रभाव से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उच्च सफलता हासिल होती है, हालाँकि खराब स्थिति होने से मान-सम्मान में कमी, पिता को कष्ट और नेत्र पीड़ा का सामना करना पड़ता है। चलिए जानते हैं 13 फरवरी से सूर्य के कुंभ राशि में प्रवेश करते ही किस राशि पर कैसा होगा असर....

मेष राशि-
सूर्य का राशि परिवर्तन मेष राशि के जातकों के लिए खुशखबरी लेकर आ रहा है। वही इस परिवर्तन से मेष राशि के जातकों की आमदनी में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी और लाभ के कई मार्ग खुल सकते है। आपको शासन और प्रशासन दोनों का सहयोग मिलता नजर आ रहा है।

वृषभ राशि-
सूर्य के इस राशि परिवर्तन से वृषभ राशि के जातकों को कार्यक्षेत्र में असीमित अधिकार मिल सकते हैं। इसके अलावा आपको मान सम्मान के साथ साथ कार्य क्षेत्र में लोगों पर नेतृत्व करने का मौका मिल सकता है।

मिथुन राशि-
मिथुन राशि के जातकों को सूर्य के इस राशि परिवर्तन की वजह से मान-सम्मान की प्राप्ति हो सकती है। वही आपको धन और धान्य का लाभ होगा और कार्यों में सफलता के चलते आपके आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होगी।

कर्क राशि-
कर्क राशि के जातकों को पैतृक संपत्ति मिल सकती है। वहीं दूसरी ओर इस राशि के जातकों को अपने पिता की सेहत का ध्यान रखने की जरूरत है। इसके अलावा आपका कोई पुराना राज बाहर आ सकता है। जिसका असर आपकी छवि पर पड़ सकता है। सतर्क रहें।

सिंह राशि-
सूर्य के राशि परिवर्तन का असर मुख्य रूप से सिंह राशि के स्वास्थ्य, व्यक्तित्व और दांपत्य जीवन पर पड़ सकता है। पहले के मुकाबले खुद को ज्यादा चुस्त दुरुस्त महसूस करेंगे और पुरानी किसी स्वास्थ्य समस्या से आपको निजात मिलेगी।

कन्या राशि-
कन्या राशि के जातकों की आर्थिक स्थिति मजबूत बनेगी तो कोर्ट कचहरी से जुड़े मामलों में अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे। अपनी सेहत को लेकर थोड़ी सावधानी बरतें।

तुला राशि-
सूर्य के राशि परिवर्तन करने से तुला राशि को शासन पक्ष से लाभ मिल सकता है। प्रेम के मामले में यह समय आपके लिए अनुकूल नहीं है। छोटी सी बात आपके रिश्ते को खराब कर सकती है।

वृश्चिक राशि-
वृश्चिक राशि के जातकों के भीतर इस समय अहम की भावना आ सकती है। खुद को दूसरों से बेहतर साबित करने के लिए आप बढ़-चढ़कर बातें करेंगे। हालांकि यह समय कार्यक्षेत्र के लिहाज से बेहतर है।

धनु राशि-
आपके भाग्य में बढ़ोतरी होगी और भाग्य की कृपा से आपके सभी रूके हुए काम बनेंगे। आपको इस समय लाभ मिलने के साथ समाज में अच्छा मान-सम्मान भी प्राप्त होगा।

मकर राशि-
मकर राशि के लिए इस राशि परिवर्तन की वजह से अचानक धन लाभ के योग बन रहे हैं।आप अपने कार्यक्षेत्र में मन लगाकर काम करेंगे । वही जिसकी वजह से आपको बेहतर परिणाम मिलेंगे।

कुंभ राशि-
सूर्य के राशि परिवर्तन करने से कुंभ राशि के जातकों के व्यक्तित्व में कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। इसके अलावा  कुंभ राशि के जातक इस समय अपनी सेहत का ध्यान रखें।

मीन-
मीन राशि के जातकों को इस दौरान अपने विरोधियों से थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है। परन्तु नौकरी के लिए किए गए सभी प्रयासों में आपको सफलता अवश्य मिलेगी।

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Ganesh Chaturthi 2020: भगवान गणेश की पूजा करने से दूर होंगे सभी दुःख दर्दGanesh Chaturthi 2020: भगवान गणेश की पूजा करने से दूर होंगे सभी दुःख दर्द

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भगवान् गणेश की चतुर्थी आने वाली है और इस बार इसमें बहुत ख़ास बात है और वो यह है की भगवान गणेश जी को समर्पित दिन बुधवार को है। वही इस दिन गणप​ति की पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट मिट जाते हैं, दरिद्रता दूर होती है, इसके साथ ही घर धन धान्य से पूर्ण हो जाता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वही फाल्गुन मास की संकष्टी गणेश चतुर्थी इस वर्ष 12 फरवरी दिन बुधवार को है। इसके साथ ही संकष्टी गणेश चतुर्थी हर मास कृृष्ण पक्ष में आती है।

मुहूर्त
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 12 फरवरी तड़के 2 बजकर 52 मिनट से हो रहा है, इसके अलावा जो 12 फरवरी को देर रात 11 बजकर 39 मिनट तक है। चतुर्थी के दिन चन्द्रोदय रात 9 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगा।

व्रत एवं पूजा विधि
चतुर्थी के दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें।
फिर एक गणेश प्रतिमा और जल सहित कलश की स्थापना पूजा स्थल पर करें।
शाम के समय में गणेश जी आराधना करें। उनका धूप, दीप, अक्षत्, रोली, गंध, फूल आदि से षोडशोपचार पूजन करें। उनको दूर्वा जरूर अर्पित करें।
फिर संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत की कथा सुनें और गणेश जी की आरती करें।
पूजा के समय उनको 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। उनमें से 5 गणपति को अर्पित कर दें।
बाकी प्रसाद स्वरूप लोगों में बांट दें।

अर्घ्य
गणेश चतुर्थी का व्रत चंद्र दर्शन के बिना पूरा नहीं माना जाता है। इसके अलावा पूजा के बाद चंद्र दर्शन करें और चंद्रमा को विधिपूर्वक अर्घ्य दें। वही चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रती को भोजन ग्रहण करना चाहिए।

व्रत का महत्व
संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत विशेष तौर पर महिलाएं करती हैं।
वे विघ्नहर्ता श्री गणेश से अपनी संतान और परिवार के कल्याण की कामना करती हैं।
उनकी लंबी आयु और परिवार को विघ्न बाधाओं से मुक्त रखने का आशीष मांगती हैं।

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महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का ऐसे करें अभिषेक, धन और संतान की होगी प्राप्तिमहाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का ऐसे करें अभिषेक, धन और संतान की होगी प्राप्ति

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भगवान भोलेनाथ बड़े ही दयालु माने जाते हैं। इसके अलावा जो कोई भी सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करता है, वही उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। इसके साथ ही महाशिवरात्रि भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रमुख पर्व है, जो आने ही वाला है। वही यह एक बड़ा ही पवित्र और महत्वपूर्ण अवसर होता है भगवान भोलेनाथ को अपनी आराधना से प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का और अपनी जिंदगी को खुशियों से भर लेने का।महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान भोलेनाथ का भक्तों द्वारा अभिषेक करने और उनकी विशेष पूजा-अर्चना करने की परंपरा आदिकाल से चली आ रही है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव को अभिषेक खास तौर पर पसंद है। महाशिवरात्रि का त्योहार 21 फरवरी को है ओर इसकी तैयारी भक्तों ने आरंभ भी कर दी ही। इसके साथ ही विधि-विधान से महाशिवरात्रि के अवसर पर पूजा करने का बहुत महत्व है, क्योंकि भगवान शिव की आराधना के इस खास मौके पर सच्ची श्रद्धा और सच्चे मन से उनकी पूजा कर ली गयी तो समझ लेना चाहिये कि बेड़ा पार है। इससे भक्तों की अभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इसके अलावा  महाशिवरात्रि इसलिए खास है, क्योंकि यही वह दिन है, जब भगवान शंकर की शादी हुई थी।

अभिषेक के प्रकार
भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने के महाशिवरात्रि के अवसर पर कई तौर-तरीके प्रचलित हैं। इसके लिए कई तरह के विधि-विधान भी बनाये गए हैं। ऐसी मान्यता है कि इनके मुताबिक ही भोलेनाथ की पूजा महाशिवरात्रि में की जानी चाहिए, क्योंकि इससे न केवल भगवान शिव बहुत खुश होते हैं, बल्कि इससे भक्त की मनोकामना भी वे पूरी करते हैं। वही भगवान शिव का महाशिवरात्रि के दिन भक्त कई तरह से अपनी मनोकामनाओं के मुताबिक अभिषेक कर सकते हैं और बाबा भोलेनाथ की कृपा प्राप्त कर अपने व अपने परिवार के जीवन को धन्य कर सकते हैं। आपको इस बात की जानकारी होनी बहुत जरूरी है कि किस प्रकार की मनोकामना के लिए आपको भगवान शंकर का किस तरह का अभिषेक इस खास महाशिवरात्रि के मौके पर करना चाहिए।

ब्याह करने के लिए
यदि आप उन लोगों में से एक हैं जो अपनी शादी न होने की वजह से बेहद परेशान हैं और लाख प्रयास करने पर भी आपका ब्याह होने से रह जा रहा है तो आपको निराशा के भंवर में और गोते लगाने की जरूरत नहीं है।वही इसके अलावा मन-ही-मन इसकी वजह से कुंठित होने से अच्छा है कि इस महाशिवरात्रि के पवित्र अवसर पर आप भगवान भोलेनाथ का अभिषेक केसर से करें और इस दौरान अपने मन में अपने विवाह की मनोकामना भी रखें। फिर देखिए कितनी जल्दी आपके घर में शहनाई की गूंज सुनाई देती है।
 
बिगड़े काम बनाने के लिए
किसी भी तरह का आपका काम यदि अटक जा रहा है। किसी भी कार्य में आपके बार-बार अड़चन आ रही है और वह पूरा नहीं हो पा रहा है, हालाँकि प्रयास में आपकी अपनी ओर से कोई कमी नहीं है, तो ऐसे में आपको इस महाशिवरात्रि के पुण्य अवसर का लाभ उठाते हुए भगवान शिव का अभिषेक गन्ने के रस से करना चाहिए। इसके साथ ही अपने मन में काम के शीघ्र पूरा होने की कामना करें। फिर देखिए बाबा भोले की कृपा से कैसे आपके बिगड़े काम भी बनने लग जाते हैं।

कर्ज और पाप से छुटकारा पाने के लिए
यदि आप भारी कर्ज में डूब गए हैं। वही इसके साथ ही आपको यह भी महसूस हो रहा है कि आपने अपनी जिंदगी में जाने-अनजाने कोई पाप के भागी होने वाले काम भी किये हैं, तो भी भगवान शंकर की कृपा से आपको कर्ज से मुक्ति मिल सकती है और आपके पाप भी धुल सकते हैं।वही इसके लिए आपको भगवान भोलेनाथ का अभिषेक शहद से महाशिवरात्रि के इस मौके पर करना होगा।
 
बीमारियों से निजात पाने के लिए
बीमारियां यदि आपका पीछा नहीं छोड़ रही हैं और लगातार आप अस्वस्थ रह रहे हैं तो इसके लिए भी एक आसान सा उपाय है। इसके लिए आपको भगवान शिव की कृपा पाने के लिए महाशिवरात्रि के दिन बाबा भोलेनाथ का अभिषेक दूध में पानी मिलाकर करना होगा। इससे स्वास्थ्य में सुधार आने लग सकता है।

संतान और समृद्धि के लिए
संतान सुख से यदि आप अब तक वंचित हैं तो इसके लिए आपको महाशिवरात्रि के दिन पूरी श्रद्धा से शिवलिंग का कच्चे दूध से अभिषेक करना चाहिए।इसके अलावा बाबा भोलेनाथ की कृपा से जल्द ही आपके घर में बच्चे की किलकारी गूंज उठेगी। धन और आयु में वृद्धि की चाहत रखते हैं तो महाशिवरात्रि के अवसर पर गाय के घी से भगवान शिव का अभिषेक करें। इससे अवश्य लाभ मिलता है।

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मन को सदैव रखे शांत, शांति बनाये रखने के लिए अपनाये यह उपाय,मन को सदैव रखे शांत, शांति बनाये रखने के लिए अपनाये यह उपाय,

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हिंदू धर्म शास्त्रो के अनुसार मनुष्य का मन जीवन में बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता हैं| इसके अलावा मानव के निर्माण में मन बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं| वही गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा हैं कि मनुष्य का मन उसके मोक्ष और बंधन का कारक होता हैं| वही सफलता प्राप्त करने के लिए मन का मजबूत होना बहुत ही जरूरी होता हैं| इसके अलावा धार्मिक शास्त्रों में मन को मजबूत करने के कुछ खास और महत्वपूर्ण उपाय बताएं गए हैं ​​तो आज हम आपको उन उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रोजाना सुबह स्नान करने के बाद सूर्य देवता को जल अर्पित करना चाहिए। वही ऐसा करने से व्यक्ति का मन शांत रहेगा और आपका कार्य में मन भी लगने लगेगा। वही रोजाना नियम से गायत्री मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति की प्राप्ति होती हैं और जीवन में सकारात्मक शक्ति का प्रवाह भी होता हैं।

जानिए गायत्री मंत्र:
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्
 
वही धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मन की शांति के लिए सात्विक आहार लेना बहुत ही जरूरी होता हैं सात्विक आहार लेने से मनुष्य के मन में बुरे ख्याल नहीं आते हैं और ध्यान भी नहीं भटकता हैं। इसके अलावा मन की शांति के लिए एकादशी का व्रत भी किया जाता हैं| धार्मिक मान्यताओं अनुसार एकादशी का व्रत करने से कई लाभ जातक को प्राप्त होता हैं एकादशी का व्रत हर महा में दो बार आता हैं| यदि इस दिन व्रत करना आपके लिए संभव नहीं हैं तो एकादशी के दिन चावल कासेवन नहीं करना चाहिए।

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अंगूठे के आकार से जान सकते है किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व और भविष्यअंगूठे के आकार से जान सकते है किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व और भविष्य

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आपने यह तो सुना ही होगा की बचपन में ही पता चल जाता है की कौन कैसा बनेगा तो आज हम आपको अंगूठे से जुड़ी खास बातें बता रहे हैं। यहां जानिए हस्तरेखा ज्योतिष के मुताबिक अंगूठे के आधार पर व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य से जुड़ी खास बातें...

1. यदि किसी भी व्यक्ति की हथेली में अंगूठे के पहले भाग पर बहुत सी खड़ी रेखाएं होती हैं तो वह ईमानदार और भरोसेमंद होता है।

2. जिन लोगों की हथेली में अंगूठे के पहले पर्व पर तीन खड़ी रेखाएं होती हैं, उनकी इच्छा शक्ति प्रबल होती है और इनका दिमाग भी बहुत तेज चलता है।

3. हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार जिन लोगों की हथेली में सामान्य से छोटे अंगूठा होता है, वे लोग निर्बल हो सकते हैं। ऐसे लोगों की कार्य क्षमता काफी कम होती है और हर कार्य को बहुत धीरे-धीरे करते हैं।

4. जिन लोगों के अंगूठे के पहले पर्व पर क्रॉस का निशान होता है, वे बहुत अधिक खर्चीले होते हैं। ये लोग ज्यादा व्यय के कारण परेशानियों का सामना करते हैं।

5. यदि अंगूठे का मध्यम भाग अधिक लंबा हो तो व्यक्ति की तर्क शक्ति काफी उन्नत होती है। तर्क शक्ति के कारण इन लोगों का दिमाग भी काफी तेज चलता है। अपनी बुद्धि के बल पर इन्हें समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।

6. यदि अंगूठे के दूसरे पर्व पर कोई गोलाकार निशान हो तो व्यक्ति बहुत अधिक बहस करने वाला होता है।

7. यदि किसी व्यक्ति की हथेली में अंगूठे के दूसरे पर्व पर तीन खड़ी रेखाएं होती हैं तो व्यक्ति की तर्क शक्ति अच्छी रहती है। जबकि यहां आड़ी रेखाएं होती हैं तो व्यक्ति कुतर्क करने वाला हो सकता है।

8. यदि किसी व्यक्ति के अंगूठे के दूसरे पर्व पर त्रिभुज का निशान बना हो तो व्यक्ति विज्ञान के क्षेत्र में कार्य करने वाला होता है।

9. यदि किसी व्यक्ति के अंगूठे के दूसरे पर्व पर जाली का निशान बना हो तो व्यक्ति चरित्र का अच्छा नहीं माना जाता है। वही सामान्यत: ऐसे लोग बेईमान भी हो सकते हैं।

10. जो लोग ज्यादा कल्पनाशील होते हैं, सामान्यत: उनकी हथेली में अंगूठा लचीला होता है। लचीला अंगूठा आसानी से पीछे की ओर मुड़ जाता है। वही ऐसे लोग अधिक खर्चीले भी होते हैं। इन्हें हर काम को कलात्मक ढंग से करना पसंद होता है।

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Ganesh Chaturthi 2020: भगवान गणेश की पूजा करने से दूर होंगे सभी दुःख दर्द

यदि आपकी भी कुंडली में है मंगल की दशा गलत, तो अपनाये यह उपाययदि आपकी भी कुंडली में है मंगल की दशा गलत, तो अपनाये यह उपाय

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मंगल ग्रह को ऊर्जा का ग्रह माना जाता है। इसके अलावा कुंडली में इस ग्रह की सही दिशा होने पर जातक का भाग्य खुल जाता है और जीवन में हर चीज आसानी से मिल जाती है। फिलहाल अगर कुंडली में इस ग्रह की स्थिति गलत घर में हो, तो ये ग्रह जिदंगी को दुखों से भर देता है। वही मंगल ग्रह के भारी होने पर नीचे बताई गई परेशानियां जीवन में जरूर आती हैं।

कर्ज की समस्या
कुंडली में मंगल ग्रह भारी होने पर जातक कर्ज में डूब जाता है। यदि आप पर एकदम से कर्ज चढ़ने लग जाए तो समझ लें की आपकी कुंडली में मंगल ग्रह की बुरी दिशा चल रही है और इस ग्रह के कारण आपको आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। वही कर्ज की समस्या से निकलने के लिए मंगल ग्रह को अपने अनुकुल करने के लिए उपाय करें। इसके अलावा उपायों की मदद से इस ग्रह की खराब दिशा को सही किया जा सकता है और कर्ज की समस्या से मुक्ति पाई जा सकती है।

उपाय
मंगलवार के दिन सुबह स्नान करने के बाद अपने माथे पर लाल चंदन लगा लें। ऐसा करने से कुंडली में इस ग्रह की स्थिति मजबूत हो जाएगी और कर्ज उतरने लग जाएगा। एक भोजपत्र पर मंगल देवता के मंत्र को 21 बार लिख दें। ये मंत्र लाल चंदन की मदद से लिखें। मंत्र लिखने के बाद इस भोजपत्र कोे पानी में प्रवाहित कर दें। ये उपाय करने से आपको कर्ज से मुक्ति मिल जाएगी। गरीब लोगों को मंगलवार के दिन मीठा भोजन कराएं।

साहस में कमी होना
मंगल ग्रह की बुरी स्थिति होने पर जातक के अंदर साहस की कमी होती है और जातक हर वक्त डरा हुआ महसूस करता है। इतना ही नहीं जातक हमेशा तनाव में भी रहता है।

उपाय
अगर आपके अंदर साहस की कमी है तो आप मंगल ग्रह की पूजा करें। मंगल ग्रह की पूजा करने से शरीर ऊर्जा से भर जाता है। मंगल ग्रह को प्रसन्न करने के लिए शिव जी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। इसलिए आप मंगलवार के दिन सुबह शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। मूंगा रत्न मंगल ग्रह से जुड़ा हुआ रत्न हैं। वही इस रत्न को धारण करने से साहस की कमी महसूस नहीं होती है और मन में किसी भी प्रकार का भय नहीं पैदा होता है।

जमीन जायदाद का विवाद होना
मंगल ग्रह अगर नीच राशि में होता है तो जातक को भूमि से जुड़े विवादों का सामना करना पड़ता है। इसके साथ में ही जमीन जायदाद का नुकसान भी उठना पड़ता है। वही जमीन जायदाद पर विवाद होने पर नीचे बताए गए उपायों को करें। इन उपायों को करने जमीन विवाद हल हो जाएंगे।

उपाय
तांबे की धातु से बनीं किसी भी वस्तु को मंगलवार के दिन अपने घर के दक्षिण दिशा में स्थापित करें। वही धातु के अलावा आप चाहें तो मंगल यंत्र को भी घर में रख सकते हैं। वही जिस भूमि को लेकर विवाद चल रहा है उस भूमि की मंगलवार के दिन पूजा करें और भूमि में तांबे का सिक्का दबा दें। इसके साथ ही ये उपाय करने से भूमि से जुड़े विवाद का हल निकल आएगा और विवाद खत्म हो जाएगा|

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सीता जयंती पर सुहागिन करती है व्रत, जानिये कैसे करे पूजा-अर्चनासीता जयंती पर सुहागिन करती है व्रत, जानिये कैसे करे पूजा-अर्चना

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16 फरवरी को सीता जयंती का त्यौहार है। हिन्दू मान्यताओं के फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को सीता जी का प्रकाट्य हुआ था। वही इसी उपलक्ष्य में हर वर्ष सीता जयंती या जानकी जयंती के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। वही आज के दिन मां सीता की पूजा अर्चना करने से वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियां समाप्त होती है।इसके साथ ही  धार्मिक मान्यताओं की माने तो महाराजा जनक जी पुष्य नक्षत्र के मध्याह्न काल में यज्ञ की भूमि तैयार कर रहे थे। वही उस समय वह हल से भूमि जोत रहे थे, तभी जमीन से सीता जी प्रकट हुई थीं। ऐसे में सीता का एक नाम जानकी भी है, इसलिए सीता जयंती को जानकी जयंती भी कहा जाता है।

सीता जयंती: पूजा विधि- इस दिन प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और सीता जयंती व्रत का संकल्प करें। इसके बाद फिर पूजा स्थल पर माता सीता और श्री राम की प्रतिमा स्थापित करें। अब पूजा का प्रारंभ गणेश जी और अंबिका जी की भावपूर्ण आराधना करें। इसके बाद सीता जी को पीले फूल, कपड़े और श्रृंगार का सारा सामान अर्पित करना चाहिए । अक्षत्, रोली, चंदन, धूप, गंध, मिठाई आदि का चढ़ावा भी दें। इसके पश्चात श्रीसीता-रामाय नमः या श्री सीतायै नमः मंत्र का जाप करें। यह आपके लिए फलदायी हो सकता है । इसके पश्चात आरती करें और प्रसाद लोगों में वितरित करें।

सीता जयंती का महत्व - पौराणिक मान्यताओं की मानें तो सीता जयंती का व्रत करने से वैवाहिक जीवन के कष्टों का नाश होता है। वही जीवनसाथी दीर्घायु होता है। इस व्रत को करने से समस्त तीर्थों के दर्शन का लाभ प्राप्त होता है।

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कालाष्टमी के दिन ऐसे करिये पूजा मिलेगा अच्छा फलकालाष्टमी के दिन ऐसे करिये पूजा मिलेगा अच्छा फल

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कालाष्टमी हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। वही इस बार फाल्गुन मास की कालाष्टमी 15 फरवरी दिन शनिवार को पड़ रही है। इसके साथ ही काल अष्टमी के दिन भगवान शिव के काल भैरव स्वरूप की विधि पूर्वक पूजा अर्चना की जाती है। वही काल अष्टमी को भैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इसके साथ ही काल अष्टमी के दिन काल भैरव बाबा के साथ मां दुर्गा की भी पूजा पूरी विधि-विधान से की जाती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि काल भैरव की पूजा व ध्यान करने से कार्यों में सफलता तुरंत मिलती है।

काशी के कोतलवाल हैं काल भैरव - शिव पुराण में वर्णन किया गया है कि काल भैरव भगवान शिव के ही रूप हैं। वही भगवान शिव की नगरी काशी के वे कोतवाल के नाम से भी जाने जाते है। कालाष्टमी पूजा मुहूर्त - फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी का प्रारंभ 15 फरवरी दिन शनिवार को शाम 04 बजकर 29 मिनट पर हो रहा है। वही जो कि 16 फरवरी दिन रविवार को दोपहर 03 बजकर 13 मिनट तक है।

कालाष्टमी पूजा विधि- काल अष्टमी की रात में काल भैरव की पूजा विधि पूर्वक करनी चाहिए।इसके साथ ही  भैरव कथा का पाठ करना होता है। वहीं इसके बाद यानि उनको पूजा के बाद जल अ​र्पित करें। काल भैरव का वाहन कुत्ता है, इस दिन को भोजन कराना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही काल भैरव की पूजा के बाद मां दुर्गा की भी विधिपूर्वक पूजा अवश्य करें। ऐसे में रात में मां पार्वती और भगवान शिव की कथा सुनकर रात्रि जागरण करें। व्रत रखने वाले लोगों को फलाहार करना चाहिए। ऐसे विधि पूर्व व्रत करने से आपकी सभी मनवंछित मनोकामनाएं पूरी होगी।

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अक्सर अपने से बड़े लोगों को एक हिदायत देते हुए पाया जाता है कि हमें हमेशा समूह में रहना चाहिए। इसके अलावा चाहे किसी की काम में सफलता प्राप्त करनी हो अगर हम एक समूह में रहकर काम करते हैं तो हमारे उस कार्य में सफल होने के आसार ज्यादा होते हैं। काफ़ी हद तक ये सही भी है। यदि व्यक्ति समूह बनाकर चलने की प्रवृत्ति को अपनाता है तो उससे मन में सुरक्षा का भाव पैदा होता है। ऐसा कहा जाता है कि मनुष्य का जिस तरह का दैहिक जीवन है उसमें तो उसे हमेशा ही उसे समूह बनाकर चलना ही चाहिए। वही जो लोग इस बात को थोड़ा सा भी समझते हैं वह जानते हैं कि मनुष्य को समूह में ही सुरक्षा मिलती है। बताया जाता है जब इस धरती पर मनुष्य सीमित में संख्या थे तब वह अन्य जीवों से अपनी प्राण रक्षा के लिए समूह बनाकर ही रहते भी थे। 

लेकिन जैसे-जैसे मनुष्यों की संख्या बढ़ती गई वैसे-वैसे उनके अंदर अहंकार के भाव ने भी अपने पांव पसार दिए। इसक तरह जिस कारण आज के हालात यह है कि राष्ट्र, भाषा, जाति, धर्म और वर्णों के नाम पर अनेक समूह बन गए हैं, जिनके आगे अन्य उप समूह हैं। इसके साथ ही आज की तारीख़ में इन समूहों का नेतृत्व जिन लोगों के हाथ में है वह अपने स्वार्थ के लिए सामान्य सदस्यों का उपयोग करते हैं। यदि  आधुनिक युग की बात करें तो अनेक मानवीय समूह नस्ल, जाति, देश, भाषा, धर्म के नाम पर बने तो हैं पर उनमें संघभाव कतई नहीं है। मतलब संसार का हर व्यक्ति समूहों का उपयोग तो करना चाहता है पर उसके लिए कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह का त्याग नहीं करना चाहता। यही कारण है कि पूरे विश्व में सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक तथा धार्मिक क्षेत्रों में भारी तनाव व्याप्त है।
 
यजुर्वेद में कहा गया है-
सम्भूर्ति च विनाशं च यस्तद्वेदोभयथ्सह।
विनोशेन मृतययुं तीत्वी सम्भूत्यामृत मश्नुते।।
भावार्थ- जो संघभाव को जानता है वह विनाश एवं मृत्यु के भय से मुक्त हो जाता है। इसके विपरीत जो उसे नहीं जानता वह हमेशा ही संकट को आमंत्रित करता है।

वाचमस्तमें नि यच्छदेवायुवम्।
भावार्थ-हम ऐसी वाणी का उपयोग करें जिससे सभी लोगों का एकत्रित हों।

हृदय में संयुक्त या संघभाव धारण करने का यह मतलब कतई नहीं है कि हम अपनी समूह के सदस्यों से सहयोग या त्याग की आशा करें पर समय पड़ने पर उनका साथ छोड़ दें। इसके साथ ही हमारे देश में संयुक्त परिवारों की वजह से सामाजिक एकता का भाव पहले तो था पर अब सीमित परिवार, भौतिकता के प्रति अधिक झुकाव तथा स्वयं के पूजित होने के भाव ने एकता की भावना को कमजोर कर दिया है। हमने उस पाश्चात्य संस्कृति और व्यवस्था को प्रमाणिक मान लिया है जो प्रकृति के विपरीत चलती है। वही हमारा अध्यात्मिक दर्शन व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र के क्रम में चलता जबकि पश्चिम में राष्ट्र, समाज, परिवार और व्यक्ति के क्रम पर आधारित है। फिलहाल हमारा अध्यात्मिक दर्शन यह भी मानता है कि जब व्यक्ति स्वयं अपने को संभालकर बाद समाज के हित के लिये भी काम करे तो वही वास्तविक धर्म है। इसके साथ ही कहने का अभिप्राय है कि हमें अपनी खुशी के साथ ही अपने साथ जुड़े लोगों के हित के लिये भी काम करना चाहिए।

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घर में इस जगह रख दीजिये नमक, दूर होंगी सभी नकारात्मकताघर में इस जगह रख दीजिये नमक, दूर होंगी सभी नकारात्मकता

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नमक तो हर घर में आसानी से उपलब्ध हो ही जाता है। इसके साथ ही सामान्यत: नमक उपयोग खाने का स्वाद बनाने में किया जाता है। वहीं नमक के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह नाकारत्मक ऊर्जा को खत्म करता है। इसके साथ ही नमक के कुछ ऐसे उपाय करने से जीवन में कुछ अच्छा हो सकता है। चलिए  जानते है नमक के कुछ खास उपाय जिनसे कैसे मिल सकता है लाभ| 

1. यदि कांच की कटोरी में नमक डाल कर शौचालय और स्नान घर में रखने से वास्तुदोष खत्म होता है । असल में ये दोनों राहु की वस्तुएं होने के कारण उनके नकारात्मक प्रभाव को समाप्त करते हैं।

2. वही घर में सकारात्मक एनर्जी के प्रवाह के लिये कांच के पात्र में नमक डालकर घर के किसी भी कोने में रख दें। इसके साथ ही राहु, केतु की दशा या मन में बुरे विचार और डर उत्पन्न होने पर यह उपाय लाभकारी सिद्ध होता है।

3. इसके साथ ही व्यापार में प्रगति के लिए कार्यस्थल के मुख्य द्वार पर अौर लॉकर के ऊपर पोटली लटकाने से लाभ मिलता है।

4. वही रात होने से पहले पानी में चुटकी भर नमक मिलाकर हाथ-पांव धोने से परेशानियों और चिंताओं से छुटकारा मिलता है। इससे अच्छी नींद आती है।

5. सप्ताह में एक बार नमक मिले पानी से बच्चों को स्नान करवाने से नजर दोष और  स्वास्थ्यं संबंधी परेशानियों में कमी आती है।

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चांदी की पायल-बिछिया क्यों पहनती है सुहागन महिलाएं, जाने वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारणचांदी की पायल-बिछिया क्यों पहनती है सुहागन महिलाएं, जाने वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारण

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चांदी की पायल और बिछिया भारतीय महिलाओं का पसंदीदा गहना होता हैं. इसके अलावा खासकर शादी के बाद सभी महिलाएं इसे जरूर पहनती हैं. वही ऐसे में क्या आप ने कभी सोचा हैं कि आखिर शादी के बाद महिलाओं को चांदी की बनी पायल और बिछिया ही क्यों पहनाई जाती हैं? इसके पीछे ना सिर्फ पारंपरिक मान्यताएं हैं हालाँकि कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं.
 
पॉजिटिव एनर्जी
शादी के बाद अधिकतर हिंदू महिलाऐं आजीवन पैरों में पायल पहनती हैं. इसे पहनने का पारंपरिक महत्त्व तो हैं ही परन्तु साथ में एक वैज्ञानिक कारण भी हैं. जब महिलाएं पायल पहनती हैं तो उसके घुंघरुओं से निकली आवाज़ से एक पॉजिटिव एनर्जी पैदा होती हैं. ऐसे में ये पायल आपके अंदर की नेगेटिव उर्जा को समाप्त करती हैं. इसे पहनने के बाद आपका मन सकारात्मक दिशा में ही सोचता हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि पायल के घुंघरुओं से निकली आवाज़ को क्रिय शक्ति भी कहा जाता हैं. वही ये शक्ति एक तरह से सुहागन महिलाओं के रक्षा कवच का काम करती हैं और उन्हें बुरी नजर से भी बचाती हैं.

मजबूत हड्डियाँ
ऐसा माना जाता हैं कि जब कोई महिला पायल पहनती हैं तो इससे उसकी हड्डियाँ भी मजबूत बनती हैं. असल में जब पायल महिला के पैर की त्वचा से बार बार टकराकर रगड़ती हैं तो ये उसकी हड्डियों को भी मजबूत बना देती हैं. एक अन्य मान्यता ये भी हैं कि पायल पहनने से मेरिड वुमेन के पैरों में सूजन आने के चांस भी कम हो जाते हैं.
 
स्वास्थ में सुधार
पायल को लेकर एक आध्यात्मिक मान्यता भी बहुत प्रचिल हैं. इसके अनुसार पायल पहनने से महिला के स्वास्थ में सुधार आता हैं. एक मत ये भी हैं कि चांदी की पायल बॉडी को ठंडा करने करने का काम करती हैं.
 
गर्भधारण क्षमता
पायल पहनने से एक्‍युप्रेशर का काम भी हो जाता हैं. यह पायल आपके तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियों को स्टेबल रखने का काम करती हैं. ऐसा कहा जाता हैं कि पैरो की बिछियाँ एक ख़ास नस के ऊपर दबाव डालती हैं जिससे गर्भाशय में एक समान रक्त संचार होता हैं. वही इस तरह महिलाओं को गर्भधारण करने में आसानी होती हैं. अर्थात ये चांदी की बिछियाँ महिलाओं की गर्भधारण क्षमता को भी बढ़ाती हैं.

वास्तु शास्त्र
वास्तु शास्त्र के अनुसार भी पायल के घुंघरुओं से निकली आवाज़ आपके घर के माहोल के लिए शुभ होती हैं. इससे ना सिर्फ घर की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती हैं बल्कि दैवीय शक्तियां भी इस आवाज़ से आकर्षित होकर आपके घर पधारती हैं. इस तरह घर की उन्नति और लाभ के लिए भी ये पायाल और बिछिया फायदेमंद हैं.
 
मासिक चक्र में लाभ
चुकी बिछिया पहनने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता हैं इसलिए ये आपके मासिक चक्र को नियमित रखने में भी सहयता करती हैं. ऐसा माना जाता हैं कि तलवे से लेकर नाभि तक नादियों को व्यवस्थित करने में बिछिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. इस काम में मछली के शेपवाली बिछिया बेस्ट होती हैं. इसकी वजह ये हैं कि मछली का आकार मध्य में गोल एवं आगे-पीछे थोड़ा नोंकदार होता हैं. इस कारण रक्त संचार अच्छे से हो जाता हैं.

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Mahashivratri 2020: जानिये क्यों जरुरी होता है रुद्राभिषेक, किसने किया सबसे पहलेMahashivratri 2020: जानिये क्यों जरुरी होता है रुद्राभिषेक, किसने किया सबसे पहले

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महाशिवरात्रि पर जगह-जगह मंदिरों में लोग रुद्राभिषेक का आयोजन करवाते हैं। इसके अलावा ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से मन की इच्छाएं पूरी होती हैं। इसके साथ ही ग्रह संबंधित सभी दोष दूर होते हैं। वही महाशिवरात्रि में भगवान शिव के रुद्राभिषेक का खास महत्व है। इसलिए इस पावन दिन रुद्राभिषेक करने से भोलेनाथ को खुश किया जा सकता है। इसलिए हम आपको बताने जा रहे हैं रुद्राभिषेक से जुड़ी खास बातें।अभिषेक शब्द का तात्पर्य यह है कि स्नान कराना।इसके अलावा  रुद्राभिषेक का अर्थ यह है कि भगवान रुद्र का अभिषेक यानी कि शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों का उच्चारण करते हुए अभिषेक करना। मौजूदा वक्त में अभिषेक रुद्राभिषेक के रूप में ही विश्रुत है। वही अभिषेक के कई रूप व प्रकार होते हैं। श्रेष्ठ ब्राह्मणों द्वारा रुद्राभिषेक करवाना शिवजी को प्रसन्न करने का सबसे श्रेष्ठ तरीका है। 

क्यों जरूरी है रुद्राभिषेक
रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार शिव ही रुद्र हैं और रुद्र ही शिव हैं। रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र। यानी कि रुद्र रूप शिव हमारे सभी दुखों को जल्द ही खत्म कर देते हैं। यानी कि रुद्राभिषेक करने पर हमारे दुख खत्म होते हैं। जो दुख हम सह रहे होते हैं उसका कारण भी हम ही होते हैं। जाने-अनजाने में किए गए प्रकृति के खिलाफ व्यवहार के परिणामस्वरूप ही हम दुख भोगते हैं। 

रुद्राभिषेक आरंभ कैसे हुआ
पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्माजी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्माजी जब विष्णु भगवान के पास अपने जन्म का कारण पूछने गए तो उन्होंने ब्रह्मा की उत्पत्ति का रहस्य बताया। इसके साथ ही यह भी बताया कि उनके कारण ही आपकी उत्पत्ति हुई है। परन्तु ब्रह्माजी मानने को तैयार नहीं हुए और दोनों में खतरनाक लड़ाई हुई। वही इस युद्ध से नाराज भगवान रुद्र लिंग रूप में प्रकट हुए । इस लिंग का आदि और अन्त जब ब्रह्मा और विष्णु जी को कहीं पता नहीं चला तो हार मान ली और लिंग का अभिषेक किया। जिससे भगवान खुश हुए। कहा जाता है कि यहीं से रूद्राभिषेक आरंभ हुआ। 

महाशिवरात्रि तिथि
 
फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है।
शुक्रवार, 21 फरवरी 2020
 
शुभ मुहू्र्त
21 तारीख को शाम को 5 बजकर 20 मिनट से 22 फरवरी, शनिवार को शाम सात बजकर 2 मिनट तक रहेगी।

रात्रि प्रहर पूजा मुहू्र्त
शाम को 6 बजकर 41 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक होगी।

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हनुमान जी का चाहिए आशीर्वाद तो, करें यह उपायहनुमान जी का चाहिए आशीर्वाद तो, करें यह उपाय

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हनुमान जी इस कलियुग के जागृत देवता हैं, जो भक्तों के सभी तरह के कष्टों को दूर करते हैं। इसके अलावा यदि हनुमानजी कि भक्ति सच्ची श्रद्धा से की जाएं तो वो भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण कर देते हैं। वही आज हम आपको बताते हैं कि हनुमानजी की कौन-सी साधना से किस तरह के कष्ट मिट जाते हैं।

हनुमान चालीसा 
जो व्यक्ति नित्य सुबह और शाम हनुमान चालीसा का पाठ करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है और उसे कोई भी व्यक्ति बंधक नहीं बना सकता है । उस पर कारागार का संकट कभी नहीं आता। वही श्रीरामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरितमानस लिखने से पहले हनुमान चालीसा लिखी थी और फिर हनुमानजी की कृपा से ही वे श्रीरामचरितमानस लिख पाएं। अगर किसी व्यक्ति को अपने कुकर्मों के कारण कारागार कि सजा हो गई है, तो उसे संकल्प लेकर क्षमा-प्रार्थना करनी चाहिए और आगे से कभी किसी भी प्रकार के कुकर्म नहीं करने का वचन देते हुए हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करना चाहिए। वही हनुमानजी की कृपा हुई तो कारागार से ऐसे व्यक्ति मुक्त हो जाते हैं।

बजरंग बाण 
बहुत से व्यक्ति अपने कार्य या व्यवहार से लोगों को रुष्ट कर देते हैं, इससे उनके शत्रु बढ़ जाते हैं। इसके अलावा कुछ लोगों को स्पष्ट बोलने की आदत होती है जिसके कारण उनके गुप्त शत्रु भी होते हैं। यह भी हो सकता है कि आप सभी तरह से अच्छे हैं फिर भी आपकी तरक्की से लोग जलते हो और आपके विरुद्ध षड्यंत्र रचते हो।वही ऐसे समय में यदि आप सच्चे हैं तो श्री बजरंग बाण आपको बचाता है और शत्रुओं को दंड देता है। ऐसे में बजरंग बाण से शत्रु को उसके किए की सजा मिल जाती है, लेकिन इसका पाठ एक जगह बैठकर अनुष्ठानपूर्वक 21 दिन तक करना चाहिए और हमेशा सच्चाई के मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए, क्योंकि हनुमानजी सिर्फ पवित्र लोगों का ही साथ देते हैं। 21 दिन में तुरंत फल मिलता है।

हनुमान बाहुक 
यदि आप बीमारियों से परेशान हैं तो जल का एक पात्र हनुमान जी कि प्रतिमा के सामने रखकर हनुमान बाहुक का 26 या 21 दिनों तक पाठ करें।वही  प्रतिदिन उस जल को ग्रहण करें और दूसरा जल रखें। हनुमानजी की कृपा से शरीर की समस्त पीड़ाओं से आपको मुक्ति मिल जाएगी।

हनुमान मंत्र 
यदि आपको अंधेरे या भूत-प्रेत से डर लगता है या किसी भी प्रकार का भय है तो आप ॐ हं हनुमंते नम: नित्य सुबह शाम 108 बार जप करें। कुछ ही दिनों में धीरे-धीरे आप में निर्भीकता का संचार होने लगेगा।

हनुमान मंदिर 
प्रति मंगलवार एवं शनिवार को हनुमान मंदिर में जाएं और गुड़, चना अर्पित करें।ऐसा आप 21 दिन तक करें और जब 21 दिन पूरे हो जाएं तो हनुमानजी को चोला चढ़ाएं। हनुमानजी तुरंत ही घर में सुख-शांति कर देंगे।

शनि ग्रह पीड़ा से मुक्ति 
हनुमान जी की जिस पर कृपा होती है, उसका शनि और यमराज भी कुछ नहीं बिगाड सकते है। आप शनि ग्रह की पीड़ा से छुटकारा पाना चाहते हैं कि प्रति मंगलवार हनुमान मंदिर जाएं और शराब व मांस के सेवन से दूर रहें। इसके अलावा शनिवार को सुंदरकांड या हनुमान चालीसा पाठ करने से शनि भगवान आपको लाभ देने लगेंगे।

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Mahashivratri 2020: महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का ऐसे करें शृंगार, मिलेंगे अनेकों लाभMahashivratri 2020: महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का ऐसे करें शृंगार, मिलेंगे अनेकों लाभ

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महाशिवरात्रि शिवभक्तों के लिए सबसे बड़ा पर्व होता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से महादेव की आराधना की जाती है। इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 21 फरवरी को पड़ रहा है। इस दिन शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। वही इस पावन दिन पर भोलेनाथ की आराधना से पूर्ण महादेव का शृंगार करना चाहिए।  बात जब श्रृंगार की होती है तो महिलाओं का नाम सबसे पहले लिया जाता है। परन्तु इस सावन बात महिलाओं के फैशन की नहीं बल्कि देवों के देव महादेव की हो रही है। लोग अक्सर महिलाओं के 16 श्रृंगार के बारे में बात करते हैं लेकिन बहुत कम ही लोग भगवान शिव के 9 श्रृंगार के बारे में जानते हैं। आइए जानते हैं आखिर कौन से ऐसे 9 श्रृंगार हैं जो भस्मधारी महाकाल को करना बेहद पसंद है।

ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति की मनोकामना जल्द पूरी हो जाती है।इसके अलावा भोलेबाबा अपने भक्तों को कष्टों में नहीं देख सकते हैं। वही ऐसे में शिव भक्तों को भोलेबाबा को मनाने के लिए उनके 9 रत्नों का सहारा लेना चाहिए। आइए जानते हैं क्या हैं उनके 9 रत्न। इसके अलावा  भगवान शिव के 9 रत्नों के नाम हैं-पैरों में कड़ा, मृगछाला, रुद्राक्ष, नागदेवता, खप्पर, डमरू, त्रिशूल, शीश पर गंगा और शीश पर चंद्रमा। ऐसा कहा जाता है कि भोलेबाबा के इन सभी अलग-अलग नौ रत्नों की अपना एक अलग महत्व है। वही भगवान शिव के हर रत्न के साथ उनकी पूजा करने से व्यक्ति को उसका अलग लाभ मिलता है। सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले शिव जी की पूजा करने से व्यक्ति की कुंडली में अनुकूल ग्रहों की दशा मजबूत होती है। इसके लिए शिव जी का दूध से अभिषेक करना चाहिए। 

गंगाधारी शिव की प्रतिमा की पूजा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि ऐसा करने से विद्या, बुद्धि और कला में वृद्धि होती है। ऐसा मन जाता है कि भस्मधारी शिव की पूजा करने से न सिर्फ सुखों की प्राप्ति होती है बल्कि ऐसा करने से व्यक्ति अपने शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त कर सकता है। इसके अलावा त्रिशूल धारण करने वाले शिव का आराधना करने से विवाह में आने वाली सभी रुकावटें दूर होती हैं। वही डमरू धारण करने वाले शिव का पूजा करने से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है हालाँकि सर्पधारी शिव की पूजा करने से राजनैतिक सफलता मिलना तय माना जाता है। वही मान्यताओं की मानें तो रूद्राक्ष धारण करने वाले भोले बाबा की पूजा करने से वो जल्दी प्रसन्न होकर इच्छा पूरी करते हैं तो कंमडधारी शिव की पूजा करने से व्यक्ति का मान-सम्मान बढ़ता है।  

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वास्तु टिप्स से कैसे रख सकते है घर में शांति और समृद्धिवास्तु टिप्स से कैसे रख सकते है घर में शांति और समृद्धि

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वास्तु विज्ञान से घर के अशांत वातावरण को शांति और खुशहाली में परिवर्तित किया जा सकता है।इसके अलावा  यह घर की नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदलने के लिए बहुत कारगर विज्ञान है। असल में , वास्तु का शाब्दिक अर्थ निवासस्थान होता है। इसके सिद्धांत वातावरण में जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश तत्वों और उनकी दिशा के बीच एक सामंजस्य स्थापित करने में मदद करते हैं। इन्हें हम वास्तु टिप्स (Vastu Tips) के नाम से जानते हैं। वही यहां कुछ वास्तु टिप्स दी जा रही हैं जिन्हें अपनाकर आप अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा को ला सकते हैं। अपने घर की अशांति को दूर कर सकते हैं। ये वास्तु टिप्स हैं:- मधुर संबंधों के लिए अतिथियों का स्थान या कक्ष उत्तर या पश्चिम की ओर बनाना चाहिए।वही आरोग्य के दिशा क्षेत्र उत्तर-उत्तर-पूर्व दिशा में दवाइयां रखने से ये जल्दी असर दिखाती हैं।सब कुछ ठीक होने के बाद भी आपको लगता है की हमारे हाथ में धन नहीं रुकता तो आपको अपने घर के दक्षिण-पूर्व दिशा क्षेत्र से नीला रंग हटाने की जरुरत है।

 इस दिशा में हल्का नारंगी, गुलाबी रंगों का प्रयोग करें।घर के अंदर लगे हुए मकड़ी के जाले,धूल-गंदगी को समय-समय पर हटाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा नहीं रहती।ऐसे में पार्किंग हेतु उत्तर-पश्चिम स्थान प्रयोग में लाना शुभ माना गया है।घर में बनी हुई क्यारियों या गमलों में लगे हुए पौधों को नियमित रूप से पानी देना चाहिए। यदि कोई पौधा सूख जाए तो उसे तुरंत वहां से हटा दें। इसके साथ ही दक्षिण-पश्चिम दिशा में ओवरहैड वाटर टैंक की व्यवस्था करना लाभप्रद रहता है।दरवाजे को खोलते तथा बंद करते समय सावधानी से बंद करें,ताकि कर्कश ध्वनि न निकले।यदि आपने घर में पूजा घर बना रखा है तो शुभ फलों की प्राप्ति के लिए उसमें नियमित रूप से पूजा होनी चाहिए एवं दक्षिण-पश्चिम की दिशा में निर्मित कमरे का प्रयोगपूजा-अर्चना के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

गैस का चूल्हा किचन प्लेटफार्म के आग्नेय कोण में दोनों तरफ से कुछ इंच जगह छोड़कर रखना वास्तु सम्मत माना गया है।शयन कक्ष में ड्रेसिंग टेबल हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा में रखनी चाहिए,सोते समय शीशे को ढक दें।किसी भी व्यक्ति को किसी भी परिस्थिति में दक्षिण दिशा की तरफ पैर करके नहीं सोना चाहिए,ऐसा करने से बेचैनी, घबराहट और नींद में कमी हो सकती है।इसके अलावा शयन कक्ष में मुख्य द्वार की ओर पैर करके नहीं सोएं। पूर्व दिशा में सिर एवं पश्चिम दिशा में पैर करके सोने से आध्यात्मिक भावनाओं में वृद्धि होती है।घर या कमरों में कैक्टस के पौधे या कंटीली झाड़ियाँ या काँटों के गुलदस्ते जो की गमलों में साज-सज्जा के लिए सजाते हैं उनसे पूरी तरह बचना चाहिए।वही भवन में उत्तर दिशा, ईशान दिशा, पूर्व दिशा, वायव्य दिशा में हल्का सामान रखना शुभ फलदाई होता है।वही घर में अग्नि से सम्बंधित उपकरण जहाँ तक संभव हो दक्षिण-पूर्व दिशा में रखने चाहिए।घर में लगे हुए विद्युत उपकरणों का रख-रखाव उचित ढंग से होना चाहिए,उनमें से किसी भी प्रकार की आवाज़ या ध्वनि नहीं निकलनी चाहिए।

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वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर का वास्तु सही होने पर घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है। इसके अलावा वास्तु के नजरिए से घर का मुख्य प्रवेश द्वार बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। वही लोग इसके लिए घर के मुख्य दरवाजे पर कई तरह की शुभ चीजें लगाते हैं। चलिए जानते हैं कौन-कौन सी चीजें होती है जिसको मुख्य दरवाजे पर लगाने से घर में रहने वाले सभी सदस्यों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

माला
घर पर सकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश के लिए पीपल, आम और अशोक के पत्तों की माला का तोरण द्वार बना कर घर के मुख्य दरवाजे में बांधना शुभ होता है।

देवी लक्ष्मी
घर के प्रवेश द्वार पर लक्ष्मी-कुबेर की तस्वीर लगाना शुभ होता है। वास्तु के अनुसार ऐसा करने से धन लाभ होता है।

लक्ष्मी जी के पैर
घर के मुख्य दरवाजे पर सिंदूर से मां लक्ष्मी के पैर बनाने से घर पर धन-दौलत और समृद्धि का आगमन होता है।

शुभ लाभ
घर को नकारात्मक और बुरी ऊर्जा से बचाने के लिए घर के मुख्य दरवाजे के दोनों ओर शुभ-लाभ लिखना अच्छा माना गया है।

स्वास्तिक
हिंदू धर्म में स्वास्तिक को बहुत ही शुभ चिन्ह माना गया है। हर शुभ और मांगलिक कार्यों में स्वास्तिक का निशान जरूर बनाकर पूजा-पाठ संपन्न किया जाता है। प्रवेश  द्वार पर स्वास्तिक का निशान बनाने से घर में सौभाग्य और समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है।

कुछ ध्यान देने वाली खास बातें
1-  घर के मुख्य दरवाजे को अन्य दूसरे दरवाजों से बड़ा रखना चाहिए। यह दरवाजा दोनों तरफ खुलने वाला होना चाहिए।
2-  घर का दरवाजा खोलते समय इस बात का जरूर ध्यान रखें कि उसमें आवाज ना हो। यह नकारात्मकता का प्रतीक होती है। दरवाजे से आवाज आने पर उन्हें जल्द से जल्द ठीक कराएं।
3-  प्रवेश द्वार पर हमेशा अच्छी रोशनी होनी चाहिए। 
4-  घर के प्रवेश द्वार पर सुन्दर और साफ सीधे ढ़ंग से नाम की पट्टी लगाएं। इससे घर में सकारात्मकता आती है। 

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उज्जैन: महाशिव नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी हैं. जिसमें भगवान महाकालेश्वर नाै दिन तक नए रूपाें में दर्शन देखने को मिलेंगे. पहले दिन गुरुवार को चंदन का श्रृंगार हुआ. वहीं शुक्रवार काे शेषनाग शृंगार किया जायेगा.  महाकालेश्वर मंदिर समिति ने 13 से 21 फरवरी तक के अलग-अगल रूपाें के शृंगार की व्यवस्था की जा चुकी है. जिसमें 11 में से केवल महाशिवरात्रि वाले दिन 21 फरवरी काे वस्त्र-आभूषण की बजाय जलधारा से शृंगार होगा.

वही वर्षभर में कुल 12 शिवरात्रियां होती हैं. उसमें फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात्रि महाशिवरात्रि के नाम से प्रसिद्ध है. संहार शक्ति व तमोगुण के अधिष्ठाता शिव की रात्रि महाशिवरात्रि शिव आराधना की सर्वश्रेष्ठ रात्रि है. इस बार शिवरात्रि पर त्रयोदशी के साथ चतुर्दशी का संयोग चारों प्रहर की पूजा को कुछ खास बना रहा है. वही इसी महारात्रि में जीवन रूपी चंद्र का शिव रूपी सूर्य से शामिल होगा. यदि बात करे महाशिवरात्रि के महत्व कि तो चतुर्दशी के स्वामी स्वयं शिव हैं. शिव नवरात्र के पहले दिन कोटेश्वर महादेव के पूजन के पश्चात् भगवान महाकालेश्वर का पूजन-अभिषेक किया गया.शेषनाग का शृंगार कल,13 फरवरी को वस्त्र एवं चंदन,14 फरवरी को शेषनाग,15 फरवरी को घटाटाेप, 16 फरवरी को छबीना,17 फरवरी को हाेल्कर,18 फरवरी को मनमहेश

इस बार मंदिर समिति श्रद्धालुओं के जूते-चप्पल काे रखने के लिए अलग से व्यवस्था करने जा रही हैं. जिसमें दर्शन करने जाते समय श्रद्धालु जूते-चप्पल हरसिद्धि के पास काउंटर पर रखने हाेंगे. यहां से उन्हें टाेकन मिलेगा. इसे लाैटते समय श्रद्धालुओं के अपने जूते-चप्पल शंख द्वार चाैराहे के पास बने काउंटर पर मिलेंगे. महाशिवरात्रि पर श्रद्धालु महाकाल दर्शन के पश्चात् रुद्रसागर के बीच में से नए व कच्चे रास्ते से इंटरप्रिटिशीयन सेंटर के समीप राेड पर बाहर निकल सकेंगे. अधिकारियाें ने इस कच्चे रास्ते काे बनवाना शुरू करवा दिया है. इसकी आवश्यकता  इसलिए पड़ी क्याेंकि महाशिवरात्रि में ज्यादा दर्शनार्थी आएंगे.

 

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आपके घर के दरवाजे की दिशा आपकी कुंडली का मुख्य बिंदु हो जाता है.  यदि आप जब घर से बाहर निकलते हैं तो आपका चेहरा जिस दिशा में होता है, वही आपके दरवाजे की दिशा होती है.इसके अलावा  घर के दरवाजे की दिशा से कोई खास ग्रह पूरे घर में प्रभाव डालना शुरू कर देता है. यदि वो ग्रह आपके लिए अनुकूल है, तो घर का मुख्य द्वार आपके लिए लाभदायक हो जाता है. वही अन्यथा जीवन में व्यर्थ की समस्या शुरू हो जाती है.

अगर घर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा का हो

- पूर्व दिशा द्वार घर का सबसे अच्छा द्वार माना जाता है.
- अगर मंगल गड़बड़ हो तो इस द्वार के कारण घर में कर्जे बढ़ने लगते हैं.

अगर घर का मुख्यद्वार पश्चिम दिशा में हो

- ऐसा द्वार घर में पैसे के आगमन के लिए काफी शुभ होता है.
- परन्तु अगर कुंडली में बुध ठीक न हो तो इसके कारण घर में पैसा नहीं बचता, बरकत खत्म हो जाती है.

अगर घर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा में हो

- ऐसा द्वार घर में उन्नति के लिए काफी उत्तम होता है
- परन्तु अगर घर के द्वार के सामने वेध हो तो ऐसा द्वार जीवन में दरिद्रता पैदा कर देता है.

अगर घर का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में हो

- यह द्वार सामान्यतः जीवन में संघर्ष को बढ़ा देता है  
- अगर कुंडली में शनि मंगल की स्थिति ठीक हो तो यह द्वार काफी शुभ फलदायी हो जाता है.

अगर घर का मुख्य द्वार आग्नेय दिशा में हो

- यह द्वार जीवन में वैभव और समृद्धि पैदा करता है.
- परन्तु अगर कुण्डली में अग्नि तत्व की मात्रा ज्यादा हो तो यह द्वार जीवन में आकस्मिकताएं काफी ज्यादा बढ़ा देता है.

अगर घर का मुख्य द्वार ईशान दिशा में हो

- घर का मुख्य द्वार ईशान दिशा में शुभ होता है.
- अगर कुंडली में बृहस्पति ठीक न हो तो इस दिशा के द्वार से गंभीर बीमारियों के होने का खतरा रहता है.

अगर घर का मुख्य द्वार नैऋत्य दिशा में हो

- इस दिशा में घर का मुख्य द्वार जीवन में उतार चढ़ाव पैदा करता है.
- अगर कुंडली में राहु केतु ठीक न हों, तो यह दिशा जीवन में समस्या पैदा कर देती है.
- इस दिशा के द्वार से जीवन हमेशा अस्थिर ही रहता है.

अगर घर का मुख्य द्वार वायव्य दिशा में हो

- सामान्यतः घर का मुख्य द्वार यहां शुभ होता है.
- अगर कुंडली का शनि गड़बड़ हो तो इस द्वार के कारण, मित्र भी शत्रु बन जाते हैं. खास तौर से पड़ोसियों से विवाद होने लगता है.

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