मानव जीवन के लिए ज्ञान गंगा : सार्थक कर्म का येमानव जीवन के लिए ज्ञान गंगा :...
मानव जीवन में कर्म तो अहम हैं पर कर्मों की भी सार्थकता जरूरी हैं जो मानव को प्रगति के पथ का दर्शन कराती हैं .प्रत्येक व्यक्ति को अपने दैनिक जीवन में वैसे तो कई प्रकार के कार्यों का निष्पादन करना होता...
View Articleगणपती का पेट या कुबेर का धन कौन बड़ा हैगणपती का पेट या कुबेर का धन कौन बड़ा है
पार्वती से विवाह करने के बाद शिव उनके साथ कभी-कभार ही रहते थे। कई बार ऐसा लगता था कि वह गृहस्वामी हैं, तो कई बार वह एक तपस्वी की तरह व्यवहार करने लगते थे। कुछ समय के लिए वह पार्वती के साथ रहते और फिर...
View Articleशिव के गण और गणपतीशिव के गण और गणपती
शिव के गणों को लेकर यौगिक गाथाओं में यह कहा गया है कि गण शिव के मित्र थे। ये वे लोग थे जो हमेशा शिव के आस पास रहते थे। हालांकि शिव के साथ उनके शिष्य थे, पत्नी थीं और कई सारे प्रशंसक भी होते थे – लेकिन...
View Articleमानसरोवर रहस्यों से लबालब एक झीलमानसरोवर रहस्यों से लबालब एक झील
बचपन से ही मैंने यक्ष, गण और देवताओं के बारे में हर तरह की कहानियां सुनी हैं। मुझे उन्हें सुनने में भरपूर आनंद तो आता था, लेकिन उन पर भरोसा नहीं होता था। लेकिन जब मैं पहली बार मानसरोवर गया, तो वहां...
View Articleपार्वती और शिव के विवाह की कथापार्वती और शिव के विवाह की कथा
जब शिव और पार्वती का विवाह होने वाला था, तो एक बड़ी सुंदर घटना हुई। उनकी शादी बहुत ही भव्य पैमाने पर हो रही थी। इससे पहले ऐसी शादी कभी नहीं हुई थी। शिव – जो दुनिया के सबसे तेजस्वी प्राणी है – एक...
View Articleकिसने किया था भीष्म पितामह का संहारकिसने किया था भीष्म पितामह का संहार
अम्बा की निराशा, हताशा में बदल गई, हताशा गुस्से में, गुस्सा तीव्र क्रोध में और फिर उसका तीव्र क्रोध, प्रतिशोध की प्यास में बदल गया। वह जगह-जगह जाकर कहने लगी, ‘इस इंसान ने मेरा जीवन बर्बाद कर दिया।...
View Articleक्यों आकर्षित हुए शांतनु सत्यवती की ओरक्यों आकर्षित हुए शांतनु सत्यवती की ओर
ऋषि पाराशर और मत्स्यगंधी तब तक, मत्स्यगंधी एक सांवली-सलोनी युवती बन चुकी थी। मछुआरों के मुखिया दासा ने उसकी अच्छी देखभाल की थी। वह नाव में लोगों को यमुना नदी पार कराती थी। एक दिन पाराशर ऋषि यमुना नदी...
View Articleकथा है पुरुषार्थ की, स्वार्थ की, परमार्थ कीकथा है पुरुषार्थ की, स्वार्थ की,...
वेदों के संकलनकर्ता व्यास कृष्ण द्वैपायन एक महान ऋषि थे, जिन्हें व्यास के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने न सिर्फ महाभारत की कथा लिखी, बल्कि वेदों का संकलन भी किया। कहा जाता है कि वेद एक लाख वर्ष से...
View Articleजन्म-जन्मांतर का अमर प्रेमजन्म-जन्मांतर का अमर प्रेम
हमारे देश में शादी के पीछे एक पूरा विज्ञान छिपा था। जब दो लोगों को शादी के बंधन में बांधने की बात आती थी, तो वहां सिर्फ दो परिवारों या दो शरीरों के आपसी मेल को ही नहीं देखा जाता था, बल्कि इसमें दो...
View Articleब्रह्मचारी और भक्तिन में क्या अंतर हैब्रह्मचारी और भक्तिन में क्या अंतर है
भैरागिनी अर्थात एक अर्थ में वह देवी का रंग हो गई है। ब्रह्मचारी से अर्थ है वैराग्य हो जाना। जिसका मतलब है रंगहीन हो जाना। अंग्रेजी का शब्द कलरलेस नकारात्मक है …नकारात्मकता का बोध देता है – किन्तु...
View Articleभारतीय संस्कृति में पानी का महत्त्वभारतीय संस्कृति में पानी का महत्त्व
पंचतत्वों के गुणों को बदलना या यह तय करना कि ये तत्व हमारे भीतर कैसे काम करेंगे, काफी हद तक मानव-मन और चेतना के अधीन है। इसके विज्ञान और तकनीक को इस संस्कृति में पूरी गहराई से परखा गया था और उसे एक...
View Articleद्रौपदी चीर हरण को कैसे बचाया कृष्ण नेद्रौपदी चीर हरण को कैसे बचाया कृष्ण ने
जब कौरवों ने भरी सभा में द्रौपदी का चीर हरण करने की कोशिश की, उस समय कृष्ण वहां मौजूद नहीं थे। उन्हें इसकी जानकारी भी नहीं थी। क्योंकि जब वह राजसूय यज्ञ में जाने वाले थे, तो एक राजा शाल्व, जो उनसे...
View Articleजग दीवाना कृष्ण का और कृष्ण दीवाने राधा केजग दीवाना कृष्ण का और कृष्ण दीवाने...
जब कृष्ण ने गोपियों के कपड़े चुराए तो यशोदा माँ ने उन्हें बहुत मारा और फिर ओखली से बांध दिया। कृष्ण भी कम न थे। मौका मिलते ही उन्होंने ओखली को खींचा और उखाड़ लिया और फौरन जंगल की ओर निकल पड़े, क्योंकि...
View Articleजब शिव का दिल डोल गयाजब शिव का दिल डोल गया
पुण्याक्षी एक अत्यंत ज्ञानी स्त्री और भविष्यवक्ता थी, जो भारत के दक्षिणी सिरे पर रहती थीं। उनमें शिव को पाने की लालसा पैदा हो गई या कहें कि उन्हें शिव से प्रेम हो गया और वह उनकी पत्नी बनकर उनका हाथ...
View Articleब्रह्मोपदेश शिक्षा शुरू करने से पहले दीक्षाब्रह्मोपदेश शिक्षा शुरू करने से...
अगर किसी में क्षमता है, साथ ही वह बेकाबू और निरंकुश है और उसके दिल में प्रेम भी नहीं है, तो यह बड़ी खतरनाक स्थिति होती है। ऐसी हालत में आप अडोल्फ हिटलर जैसे हो सकते हैं। दुनिया में बड़ी तादाद में अडोल्फ...
View Article‘मैं’ का विस्तार ही चेतना का विस्तार है‘मैं’ का विस्तार ही चेतना का विस्तार है
‘चेतना’ या ‘चेतनता’ एक ऐसा शब्द है जिसका बहुत ही गलत अर्थों में प्रयोग किया जाता है। लोगों ने इसे न जाने किन-किन अर्थों में प्रयोग कर डाला है। आखिर चेतना है क्या? आप बहुत सारी चीजों से मिलकर बने हैं।...
View Articleआगम शास्त्र मंदिर बनाने का विज्ञानआगम शास्त्र मंदिर बनाने का विज्ञान
आगम शास्त्र कुछ खास तरह के स्थानों के निर्माण का विज्ञान है। बुनियादी रूप में यह अपवित्र को पवित्र में बदलने का विज्ञान है। समय के साथ इसमें काफी-कुछ निरर्थक जोड़ दिया गया लेकिन इसकी विषय वस्तु यही...
View Articleशिव और सप्तऋषि के योग का उदय कालशिव और सप्तऋषि के योग का उदय काल
आधुनिक मानवशास्त्र और विज्ञान के मुताबिक आज से करीब पचास हजार साल और सत्तर हजार साल पहले के बीच कहीं कुछ घटित हुआ। इन बीस हजार सालों के दौरान कुछ ऐसा हुआ, जिसने अचानक मानव जाति में बुद्धि को एक अलग...
View Articleजंगलों में भी है मंदिरों जैसी पवित्रताजंगलों में भी है मंदिरों जैसी पवित्रता
अगर आप किसी बहुत पुराने जंगल में जाएं, जहां बहुत ही कम मनुष्य गए हों, तो ऐसे जंगल में जाकर आप बस अपनी आंखें बंद करके बैठ जाइए, आपको लगेगा कि आप किसी मंदिर में बैठे हुए हैं। आप वाकई इस बात को महसूस कर...
View Article11 डिग्री पर पृथ्वी करती है साधना में मदद11 डिग्री पर पृथ्वी करती है साधना...
योग परंपरा में भूमध्य रेखा के उत्तर और दक्षिण में 33 डिग्री तक के स्थान को पवित्र माना जाता है। इसके दक्षिण में अधिक भूमि नहीं है, इसलिए मुख्य रूप से हम उत्तरी गोलार्ध पर ध्यान केंद्रित करते हैं।...
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