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जिंदगी की राह पर जीने का ढंगजिंदगी की राह पर जीने का ढंग

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व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन में किसी न किसी समस्या का सामना करना ही होता है .ये समस्याएं तो मानव के जीवन का हिस्सा हैं। वे आएंगी और चली जाएंगी। कई बार यह होता है की किसी न किसी समस्या को लेकर इतने परेशान से रहते है. जिससे हमें और भी नई- नई समस्याओं का सामना करना पड़ जाता है .समस्याओं को लेकर हम इतने चिंतित से हो जाते है. की जीवन जीने की दिशा ही भूल जाते है. सच्चा मानव तो वह है. जो अपने जीवन पथ पर चलते हुए आई समस्याओं का डटकर सामना करे और अपने जीवन को नई दिशा प्रदान करे . हम अपनी छोटी छोटी समस्याओं को लेकर इतने परेशान और चिंतित रहते है. की आगे के जीवन को व्यर्थ ही गवा देते है . आपने ऐसे भी व्यक्ति देखे होंगें जिन्हे कल के भोजन के लिए व्यवस्था जुटानी हो ,उनके पास वस्तुओं का आभाव है , यदि कोई शारीरिक समस्या आ गई तो इलाज के लिए पैसे नहीं न ही कोई अन्य साधन है. उनके मन में उठी छोटी से छोटी वस्तुओं की इक्च्छा की पूर्ति न हो सके तो क्या ऐसे व्यक्ति अपना जीवन त्याग देते है ?जीवन में चिंता को लेकर बैठे रहते है ? समस्याओं को लेकर दुःख व्याप्त करते है ? नहीं वे अपने कर्म पथ पर आगे बढ़ते हुए सुख दुःख का सामना करते हुए अपने जीवन को आगे बढ़ाते है . जो व्यक्ति सुख और दुःख दोनों में मुस्कराते है .वही जीने का ढंग सीख पाते है. चिंता के बारे में इस तरह सोचिए कि पिछले महीने भी आप चिंता कर रहे थे लेकिन अभी भी आप मजे से जी रहे हैं। जो चिंता कल थी वह आज नहीं है। अपने अनुभव से आपको समझना चाहिए कि चिंता करने से कुछ नहीं होता है, उससे जितना जल्दी हो सके बाहर आ जाना चाहिए। योग और ध्यान चिंता से बाहर आने में आपकी मदद करते हैं। जिस क्षण आप यह महसूस कर लेते हैं कि जीवन तो चलने का काम है तो फिर किसलिए चिंता करना। जीवन एक चक्र है। अच्छा और बुरा समय आता है तो फिर चिंता की क्या जरूरत है। यह तो संसार का नियम है कि कुछ अच्छा होगा तो कुछ आपके मन का भी नहीं होगा, फिर चिंता क्यों करना। अब समस्याओं की बात करें तो हमारी समस्याएं ही हमें जकड़ें रखती हैं। आश्रम में मैनें पांच बास्केटबॉल रखे हैं जो अलग-अलग तरह की समस्याओं के लिए हैं।जीवन बहुत छोटा है उठो और आगे बढ़ो और समस्याएं अपने आप सुलझ जाएंगी। किसी ने सच ही कहा है - नर हो , न निराश करो मन को ,कुछ काम करो कुछ काम करो ,जग में रहकर कुछ नाम करो,

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