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अहंकार ही मानव को नीचे गिराता हैअहंकार ही मानव को नीचे गिराता है

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मानव जीवन में यदि किसी वस्तु , धन -दौलत , नौकरी जैसी चीजों की प्राप्ति हुई तो उसे अहम की भावना आ जाती है. ऐसे कुछ ही लोग होते है . वास्तविक रूप से इस संसार में लोगो को तीन ही चीज का विशेष अहंम होता है .एक तो तन, जन , धन . यही तीन है जिनको प्राप्त कर बहुत से व्यक्ति अहंकार की भावना रख लेते है . और इस अहंकार, से ही वाणी में भी परिवर्तन आ जाता है. रिश्तों में दरार होती है. और एक समय ऐसा आता है .की उसका यह धन जन और तन कुछ भी साथ नहीं देता तब उसका यह अहंम टूट ही जाता है . अहंम को लेकर जिन लोगों से बुराई की थी आज वे भी दूर रह गए और जीवन फिर नीरस सा हो गया फिर याद आने लगा की यदि वाणी में संयम होता ,प्रेम से लोगों के साथ जीवन जीते तो आज यद स्थिति उत्पन्न न होती मानव का यह अहंकार उससे भी बड़ा होता है। जो उसके सम्पूर्ण जीवन को नष्ट कर देता है. इसके प्रभाव में आकर हम एक-दूसरे से सीधे मुंह बात नहीं करते। इसके वश में आकर हम इस प्रतीक्षा में पड़े रहते हैं कि कोई हमें प्रणाम करे. हम जितने बड़े होते जाते हैं, हमारा अहंकार भी उतना बड़ा होता जाता है। कई बार यह अहंम बच्चों में भी आ जाता है छोटे बच्चे का अहंकार छोटा होता है, किंतु बड़े होने पर उसकी अहंकारी प्रवृत्ति भी बड़ी हो जाती है। पिता-पुत्र और पति-पत्नी के बीच भी यह अहंकार आ खड़ा होता है। वे सालों साल कलह, घृणा और नफरत में तड़पते रहते हैं, किंतु एक-दूसरे के समक्ष झुकने का नाम नहीं लेते। यह जान लें कि आपकी आत्मा में एक दरार पड़ी हुई है और प्रभु इस दरार वाली आत्मा के साथ अपने मंदिर में कदापि प्रवेश नहीं देगा। इस तरह होता है अहंकारी को दुःख -   जब कोई अहंकारी व्यक्ति किसी महफिल या किसी समारोह में या किसी रिश्तेदार के यहाँ जाता है और उसके इस अहंम की वजह से उसे कोई प्रणाम या नमस्कार नहीं करता तो उसे उस वक्त अपने इस अहंम की वजह से दुःख होता है.पर इसकी जगह कोई साधारण या सरल विचार वाला व्यक्ति छोटी छोटी बातों का जिक्र नहीं करता वह हमेशा खुश रहता है .

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