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दुष्टों के संहार के लिये होगा कल्कि अवतारदुष्टों के संहार के लिये होगा कल्कि अवतार

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श्रावण मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को कल्कि अवतार होगा, ऐसा कहा जाता है। इसलिए इस दिन कल्कि जयंती मनायी जाती है। इस बार यह तिथि 20-21 अगस्त दिन बृहस्पतिवार-शुक्रवार को पड़ रही है। भारत में कल्कि अवतार के कई मंदिर भी बन चुके हैं, जहां भगवान कल्कि की पूजा होती है। यह भगवान विष्णु का पहला अवतार है जो अपनी लीला से पूर्व ही पूजा जाने लगा है।पुराणों के अनुसार घोर कलियुग में जब पाप अतिशय बढ़ जाएगा तब दुष्टों के संहार के लिये कल्कि अवतार होगा। भगवान श्री कल्कि का यह अवतार ‘‘निष्कलंक भगवान’’ के नाम से भी जाना जायेगा। श्रीमद्भागवतमहापुराण के बारहवें स्कन्ध के द्वितीय अध्याय में भगवान के कल्कि अवतार की कथा विस्तार से दी गई है जिसमें यह कहा गया है कि “सम्भल ग्राम में विष्णुयश नामक श्रेष्ठ ब्राह्मण के पुत्र के रूप में भगवान कल्कि का जन्म होगा। वह देवदत्त नाम के घोड़े पर आरूढ़ होकर अपनी कराल करवाल (तलवार) से दुष्टों का संहार करेंगे तभी सतयुग का प्रारम्भ होगा।”

सम्भल ग्राम मुख्यस्य ब्राह्मणस्यमहात्मनः भवनेविष्णुयशसः कल्कि प्रादुर्भाविष्यति।।

भगवान श्री कल्कि निष्कलंक अवतार हैं। उनके पिता का नाम विष्णुयश और माता का नाम सुमति होगा। उनके भाई जो उनसे बड़े होंगे क्रमशः सुमन्त, प्राज्ञ और कवि नाम के होंगे। याज्ञवलक्य जी पुरोहित और भगवान परशुराम उनके गुरू होंगे। भगवान श्री कल्कि की दो पत्नियाँ होंगी – लक्ष्मी रूपी पद्मा और वैष्णवी शक्ति रूपी रमा। उनके पुत्र होंगे – जय, विजय, मेघमाल तथा बलाहक।आने वाले कल के लिए कल्पित एक मात्र अवतार कल्कि की परिकल्पना हिन्दुओं के विभिन्न धार्मिक एवं पौराणिक ग्रन्थों में की गयी है।

सम्भल कहां
कल्कि अवतार के लिए सम्भल कहाँ है इसमें अनेक मतभेद हैं। कुछ विद्वान सम्भल को उड़ीसा, हिमालय, पंजाब, बंगाल और शंकरपुर में मानते हैं। कुछ सम्भल को चीन के गोभी मरूस्थल में मानते हैं जहाँ मनुष्य पहुँच ही नहीं सकता। कुछ वृन्दावन में मानते हैं। कुछ सम्भल को मुरादाबाद (उ.प्र.) जिले में मानते हैं जहाँ कल्कि अवतार मन्दिर भी है।

पुराणों में भगवान विष्णु के दस अवतारों का वर्णन है। इनमें से नौ अवतार हो चुके हैं, दसवां अवतार होना बाकी है। यह अवतार कल्कि अवतार कहलाएगा। पुराणों के अनुसार श्रावण मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह अवतार होगा, इसलिए इस दिन कल्कि जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह तिथि 20-21 अगस्त दिन बृहस्पतिवार-शुक्रवार को पड़ रही है। जयपुर में हवा महल के सामने भगवान कल्कि का प्रसिद्ध मंदिर है। इसका निर्माण सवाई जयसिंह द्वितीय ने करवाया था। इस मंदिर में भगवान कल्कि के साथ ही उनके घोड़े की प्रतिमा भी स्थापित है।


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