
हिंदू धर्म ग्रंथों में शनिदेव को न्यायाधीश कहा गया है अर्थात मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों का फल देना शनिदेव का काम है. जिसकी कुंडली में शनिदेव प्रतिकूल स्थान पर बैठे हों उसे जीवन भर किसी न किसी परेशानी का सामना करना पड़ता है. ज्योतिष व तंत्र शास्त्र में शनिदेव को प्रसन्न करने के कई उपाय बताए गए हैं उनमें से कुछ प्राचीन उपाय आज भी बहुत कारगर हैं.
सरसों के तेल में लोहे की कील डालकर दान करें और पीपल की जड़ में तेल चढ़ाएं. इससे भी शनिदेव जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं और भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं.
कांसें की कटोरी में तेल भरकर उसमें अपनी परछाई देखें और यह तेल किसी को दान कर दें. शनिदेव को प्रसन्न करने का यह बहुत ही अचूक व पुराना उपाय है.
तेल का पराठा बनाकर उस पर कोई मीठा पदार्थ रखकर गाय के बछड़े को खिलाएं. ये छोटा और बहुत ही कारगर उपाय है.
किसी भी शनिवार या शनिश्चरी अमावस्या के दिन सूर्यास्त के समय जो भोजन बने उसे पत्तल में लेकर उस पर काले तिल डालकर पीपल की पूजा करें तथा नैवेद्य लगाएं और यह भोजन काली गाय या काले कुत्ते को खिला दें.