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कैसे हुई थी चन्द्रवंश की शुरुआतकैसे हुई थी चन्द्रवंश की शुरुआत

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अब तक आपने पढ़ा: इंद्र के पुजारी और देवों के गुरु वृहस्पति खुद अय्याशी करते घूम रहे थे और अपनी पत्नी तारा की उपेक्षा कर रहे थे। उनकी उपेक्षित पत्नी तारा को चंद्रदेव से प्रेम हो गया और तारा चंद्रदेव के साथ भाग गई। वृहस्पति के बहुत कोशिश करने पर इंद्र ने दबाव देकर तारा को वापस तो बुला लिया, मगर उसकी गर्भ में चंद्र का बच्चा था। क्रोधित होकर वृहस्पति ने उस बच्चे को श्राप दिया कि वह न तो पुरुष होगा, न स्त्री। इस तरह जिस संतान का जन्म हुआ उसका नाम बुध रखा गया, जो एक ग्रह का नाम है।

राजा सुद्युम्न का शिकार

एक दिन, राजा सुद्युम्न उस जंगल में शिकार करने गए, जिसमें शिव और उनकी पत्नी पार्वती रहते थे। पार्वती ने उस दिन जंगल के पशुओं को देखते हुए भावावेश में कह दिया, ‘मैं आपसे इतना प्रेम करती हूं कि मुझे लगता है कि ये नर हाथी, घने बालों वाले शेर, खूबसूरत पंखों वाले मोर, ये सब आपका अपमान कर रहे हैं।

मैं चाहती हूं कि आप इस जंगल को नर विहीन बना दें ताकि यहां आपके सिवा कोई दूसरा नर न हो।’ शिव पर प्रेम का रंग चढ़ा हुआ था। उन्होंने कहा, ‘ठीक है। इस जंगल की हर चीज मादा हो जाए।’ उनके कहते ही जंगल की हर चीज मादा में बदल गई। शेर शेरनियों में, नर हाथी, मादा हाथी में, नर मोर मादा मोर में बदल गए। और साथ ही राजा सुद्युम्न भी एक स्त्री बन गए।
राजा सुद्युम्न खुद को देखकर हैरान रह गए। थोड़ी देर पहले तक वह एक बहादुर राजा थे जो जंगल में शिकार करने आए थे और अब अचानक वह एक स्त्री बन गए थे। वह रोने लगे, ‘किसने मेरे साथ ऐसा किया? किस यक्ष, किस दानव ने मुझे ऐसा श्राप दिया?’ बहुत दुखी होकर वह आस-पास खोजने लगे। तभी उन्हें प्रेम में रत शिव और पार्वती दिखे। वह शिव के चरणों में गिर पड़े और बोले, ‘यह अच्छी बात नहीं है। मैं एक राजा हूं। मैं पुरुष हूं। मेरा एक परिवार है। मैं यहां सिर्फ शिकार करने आया था और आपने मुझे स्त्री बना दिया। मैं इस रूप में कैसे वापस जा सकता हूं?’ शिव बोले, ‘मैंने जो कर दिया, उसे मैं पलट नहीं सकता, मगर उसे थोड़ा सा सुधार जरूर सकता हूं। जब चंद्रमा का आकार घट रहा होगा, उस समय तुम स्त्री रूप में होगे। जब चंद्रमा बढ़ रहा होगा, तो तुम पुरुष बन जाओगे।’

चंद्रवंश की शुरुआत

सुद्युम्न ने अपने महल वापस जाने से इंकार कर दिया। वह जंगल में ही इला के रूप में रहने लगे और महीने के पंद्रह दिन पुरुष रूप में और पंद्रह दिन स्त्री रूप में रहते थे। एक दिन, बुध और इला की मुलाकात हुई। दोनों की जोड़ी बहुत सटीक थी। दोनों पुरुष भी थे और स्त्री भी। उनके कई बच्चे हुए। इन बच्चों को इल कहा गया। इन इलों से चंद्रवंश की शुरुआत हुई।

इस देश में सूर्यवंशी और चंद्रवंशी राजाओं की परंपरा थी, जो सूर्य और चंद्रमा के वंशज थे। इन दोनों के गुण बिल्कुल अलग होते हैं। सूर्यवंश के लोग विजेता होते हैं, जो स्पष्ट राय रखने वाले, बिल्कुल स्पष्ट गुणों वाले लोग होते हैं।

चंद्रवंशी हर दिन अलग होते हैं। वे भावुक और कलाप्रेमी होते हैं, वे भरोसे के लायक नहीं होते। सबसे महान सूर्यवंशी खुद मनु थे, फिर इक्ष्वाकु आए। बाद में भगीरथ, दशरथ, अयोध्या के राजा राम और हरिश्चंद्र जैसे कई राजा हुए। यहां हम चंद्रवंशियों की बात करेंगे क्योंकि कुरु ज्यादातर चंद्रवंशी हैं। इसीलिए वे भावनात्मक स्तर पर उत्तेजित हो जाते थे। 


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