
प्रत्येक व्यक्ति व्यवहार और वाणी की मधुरता के कारण ही पूज्य होता है, उसके जीवन से दौलत, मित्र, पत्नी और राज्य यदि चला जाए तो वापिस आ सकता है। लेकिन यदि आपकी आत्मा इस तन से एक बार निकल गई तो दोबारा उस तन में प्रवेश नहीं करती है.जिस तरह सर्फ अपनी केचुली छोड़ उसे दोबारा धारण नहीं करता उसी तरह यह आत्मा भी जिस शरीर को एक बार छोड़ दे उसे धारण नहीं करती है . लोग बड़े ही जतन और अच्छे कर्मों के कारण ही यह मानव तन पाते है . इस जीवन में अच्छे कर्म करना चाहिए .
कुछ ऐसी सोच से रह सकते है खुश -
जो बीत गया उस पर न पछताएं, भविष्य की चिंता भी न करें। वर्तमान में जियें भविष्य हमेशा उज्जवल होगा। कई बार यह होता है. की हम भूत की कुछ बातों को याद कर या हुई कुछ घटनाओं को लेकर सोचते है .और अपनी आत्मा में दुख की भावना प्रगट करते है.जिससे हमारे वर्तमान के कार्य भी बिगड़ने लगते है.
साथ ही साथ हम इस वर्तमान को छोड़ भविष्य की चिंता करने लगते है. और अपना वर्तमान खोकर पश्चाताप रूप में भूत देखने लगते है. और ऐसा करते -करते सम्पूर्ण जीवन यूँ ही व्यतीत कर देते है .जीवन का उद्देश ही नहीं समझ पाते है. और यह जीवन ख़त्म हो जाता है .
यदि आप अपने जीवन में खुश रहना चाहते है तो घटित हुई घटना या भूत की क्रियाकलापों को छोड़ कर्तव्य निष्ठा के साथ वर्तमान में जीना सीखें आपका भविष्य निश्चित रूप से उज्जवल होगा .