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जीने का हो ढंग तो जिंदगी ही जन्नत हैजीने का हो ढंग तो जिंदगी ही जन्नत है

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मानव का यह जीवन बहुत ही महत्वपूर्ण है. यह मानव तन बड़ी ही मुश्किलों और उसके अच्छे कर्मों से प्राप्त है .इस मानव रुपी तन को पाकर जीवन जी तो सभी लेते है. पर जिंदगी जीने का ढंग हर किसी के पास नहीं होता वे इस शरीर के साथ गलत भावों , विचारों , आदतों का उपयोग कर जीते है जिससे उनका जीवन नरक की और अपने पैर मोड़ लेता  है.  और उसका यह मानव जीवन समाप्त हो जाता है. फिर उसे यह मानव तन नहीं मिल पाता है. लोग कहते है की जिंदगी है तो "जी लो "और जो भी करना है करों ,बहुत से लोगों के मत तो ये है .की हमारा जीवन जब तक है. तो सब कुछ करों चाहे वह काम अच्छा हो या बुरा जी लो अपने ढंग से पर ऐसी सोच और ऐसा करना बहुत ही घातक सिद्ध होता है.  व्यक्ति अपने इस मानव तन को खो देता है .वास्तविकता तो यह है की जीवन मिला है. तो उसका और समय का सद उपयोग करना सीखो , जीवन में व्यसन , वासनाओं से दूर होकर , कर्तव्य पथ पर चलते  हुए मन के विचारों की शुद्धी के साथ , परोपकार की भावना के साथ ,सत्य और अहिंसा के साथ , प्रेम और बलिदान के साथ ,जीना सीखो . आपके जीवन को सत्य ,अहिंसा प्रेम ,के साथ आगे बढ़ाओ , बुरे व्यसन और आदतों को छोड़ ,सद मार्ग की और अपने कदम बढ़ाओ ,जीवन को सही दिशा में ले जाना ही सबसे बड़ा स्वर्ग है .  कई बार तो यह होता है की मानव अपने जीवन में वस्तुओं की पूर्ति के लिए गलत -गलत कार्य करने लगता है. अपने परिवार के लोगों की ख़ुशी के लिए अन्य लोगों को नुकशान पहुंचाता है .उसे दुखी कर अपना मन हर्षाता है. वह यह सब भूल बैठता है. की इसका क्या परिणाम मिलेगा . व्यक्ति के एक -एक कर्मों का हिसाब होता है . और जिस व्यक्ति ने सत्य अहिंसा , प्रेम के साथ जीना सीखा मानों उसी ने जिंदगी का सही आनंद लिया और उसका वही आनंद ही जन्नत है .

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