
हमारे जीवन में सबसे अधिक महत्वता रखता है. जो वह है हमारा मन सम्पूर्ण जीवन काल में मन का ही तो खेल है. हमारे मन में चेतना , विशवास , सुख , सुख , सब कुछ मन से ही तो जाग्रत होते है . कई बार हम छोटी-छोटी बातों पर दुखी हो जाते है. जिसका कारण हमारा मन ही है. हमारे मन में विकार उत्पन्न हुआ तो हम कुछ वैसा ही करने लगते है . हमारे जीवन में सब कुछ मन से ही टिका है. मन से ही किसी कार्य को करने और न करने के भाव जाग्रत होते है .
इसलिए हमें हर परिस्थिति में अपने मन को एकाग्रता के साथ सुखहाल रखना चाहिए. मन से हम जीवन में एक अच्छी दिशा के साथ आगे बढ़ सकते है. यही मन दुख देता है और यही मन अपने वास्तविक स्वरूप से मुलाकात करा कर आनंद से भर देता है.
मन की एकाग्रता और खुशहाली के लिए आवश्यक है जीवन में अध्यात्म से जुड़ना , अध्यात्म आपके मन को शांत भाव देकर मन के विचारो को उन्नत बनाता है. और जीवन में सद मार्ग प्रदर्शित करता है .
आज का मानव अधिकतर अपने मन से ही बीमार सा रहता है. यदि उसके जीवन में कोई छोटी सी समस्या आई तो उस पर इतना सोचता है , टेंसन लेता है. यह सब मन का ही तो खेल है. यदि मन में संतुलन है. तो जीवन सुखद व्यतीत होता है. नहीं तो बहुत से लोग पागल भी हो जाते है.
हमें चाहिए की हम अपने जीवन में भले ही किसी वस्तु विशेष की प्राप्ति न कर सकें. पर अपने मन को खुश रखें, नहीं तो बने हुए कार्य भी बिगड़ जाते है. मन से ही एकाग्रता , शांति , खुशी ,रूचि ,आदि का भाव आता है . जिसने अपने मन को अच्छे विचारो , बातों , कार्यों में लगाया उसी का जीवन आनंदित हुआ है .