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क्या है सप्त ऋषि की कहानी जानियेक्या है सप्त ऋषि की कहानी जानिये

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श्रीनवद्वीप धाम के अन्तर्गत आने वाले श्रीमध्यद्वीप के बारे में श्रीभक्ति रत्नाकर ग्रन्थ में वर्णन है यहां सप्तॠषि महानन्द में परस्पर भगवद् गुणगान करते हुए भगवान के चिन्तन में लीन रहते थे। उन्होंने भगवान की स्तुति करते हुए कहा, 'हे प्रभो ! हम सभी की बहुत अभिलाषा है कि हम आँख भरकर आपके श्रीनवद्वीप धाम का दर्शन करना चाहते है। आपके नवद्वीप का सदा ध्यान करें एवं निरन्तर आपके भक्तों के गुण गाते रहें।'

भगवान ने प्रसन्न होकर कहा, ' ॠषियो ! तुमने मन में जो सोचा है, वह सब पूर्ण होगा। मेरी नवद्वीप लीला अति गोपनीय है, मेरे सुख के लिये तुम सभी उसे गोपन रखना।' और अतिशय प्रेम के साथ ॠषियों की आराधना देख कर भक्त-वत्सल भगवान मध्याह्न के समय सूर्य के समान तेजस्वी रूप में प्रकट हुए। भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु के भुवन-मोहन रूप को देख ॠषियों की आंखें खुली की खुली रह गई। 

फिर भगवान अन्तर्धान हो गये। यहां मध्याह्न के समय अर्थात् दोपहर के समय सप्त-ॠषियों को श्रीगौरहरि ने दर्शन दिये थे, इसीलिये इसे 'मध्यद्वीप' कहते हैं ।' 


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