
वरूथिनी एकादशी: क्या आपने यह नाम पहले कभी सुना है? दरअसल यह भगवान श्रीकृष्ण की आराधना का दिन हैं इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की आराधना कर व्रत रखा जाता है. तीर्थों में स्नान, दान और भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों में दर्शन किए जाते हैं. दरअसल यह दिन वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को आता है।
महाभारत काल में जब भगवान श्री कृष्ण से पांडवों ने इस व्रत को लेकर जानना चाहा तो भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें बताया कि इस एकादशी का व्रत करने से वह पुण्य मिलता है जो 10000 वर्ष तक तपस्या करने पर मिलता है. वरूथिनी एकादशी के व्रत के दिन दान करने से कन्या दान करने जितना पुण्य मिलता है।
यदि कोई भी इस व्रत का पालन करता है तो उसक पाप नष्ट हो जाते हैं. दरअसल राजा मान्धाता जिन्हें धरती का राजा कहा जाता था उन्होंने वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत किया था, जिसके चलते उन्हें मोक्ष मिल गया था. जब इश्वाकु वंश के राजा धुन्धुमार को भगवान शिव ने श्राप दिया था तो उसने भी यह व्रत कर शिव जी के श्राप से मुक्ति पाई थी।