
प्रत्येक व्यक्ति के मन में इस बात की चिन्ता बनी रहती है कि वह जिस क्षेत्र से जुड़ा है, उसमें लगातार विकास करता रहें और किसी भी प्रकार की ऐसी अड़चने न आयें जिससे कि करियर में ग्रहण लगे। बाधायें न आयें इसके लिए आपको सतर्क व सावधान रहना होगा। आइये हम आपको बताते है कि जो लोग शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े है, उन्हें किन-किन बातों के प्रति सावधान रहना चाहिए?
शिक्षा का कारक ग्रह गुरू होता है। गुरू के मजबूत होने पर ही आप शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति कर सकते है।
शिक्षक नई पीढ़ी का भविष्य होता है। अधिकतर छात्र किसी अध्यापक को ही अपना आदर्श मानते है। जिसे लोग अपना आदर्श मानते है, उसका सर्वप्रथम कर्तव्य है आदर्श को जिन्दा रखना। आदर्श को जिन्दा रखने कि पहली शर्त है चरित्रवान होना।
आप-अपने गुरूओं का सम्मान करें एंव अपने माता-पिता का प्रतिदिन चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करें।
किसी भी प्रकार का चरित्र दोष आपके करियर में ग्रहण लगा सकता है। चारित्र दोष होने पर शनि ग्रह पीड़ित हो जाता है और भविष्य में शनि के प्रतिकूल परिणाम देखने को मिलते है।
यदि आपके करियर में लगातार बाधायें आ रही है तो नियमित रूप से नाभि पर केसर लगायें और दूध में हल्दी डालकर सेंवन करें। ऐसा करने से करियर में आ रही दिक्कतें दूर होगी।
अगर आप शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े है तो यह जरूर ध्यान रखें कि बृहस्पति से सम्बन्धित चीजों को भूलकर भी दान करें। जैसे-हल्दी, केसर, केला, पीली दाल, कपड़ा, पीतल, पीली सरसों, सरसों का तेल और सोना आदि वस्तुओं को दान न करें। अन्यथा आपका बलवान बृहस्पति कमजोर होकर अशुभ फल देने लगेगा।
बृहस्पति का सम्बन्ध नाक से भी होता है। इसलिए नाक में बार-बार अॅगुली डालकर गन्दगी निकालने से बृहस्पति कमजोर होता है।
नाक को सिर्फ सुबह व शाम साफ करना चाहिए। जो लोग शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े है, उन्हें अपने घर या आॅफिस का ईशान कोण (पू-उ0) को साफ-सुथरा रखना चाहिए है एंव दक्षिण व पश्चिम की अपेक्षा हल्का सा डाउन रखना चाहिए।