
इस मानव जगत में सभी धर्म,जाति,संप्रदाय एक समान है.कोई छोटा, बड़ा नहीं है.धर्म मानव को नहीं बदलता न ही उसे नीचे गिराता मानव तो खुद अपने कर्मों से अच्छा या बुरा स्थान पाता है. धर्म न किसी की आलोचना करने को कहता न किसी जीव की ह्त्या यह सब तो मानव के मानसिक विकार है .
कुछ इस तरह से बदलता है जीवन -
किसी समय की बात है. एक राजा था जो की बहुत बूढ़ा हो चुका था. राज पाठ संभालने की शक्ति अब उसमें न रह गई उसके दो पुत्र थे और दोनों अच्छे कर्मों में हमेशा आगे आते दोनों योग्य थे. राजा ने कहा की यह राज पाठ में किसी एक को दे दूंगा. राजा की बात सुन दोनों पुत्र एक ज्योतिषी के पास पहुंचें और उन दोनों ने अपने -अपने भाग्य (भविष्य फल) को जानने के लिए उस आचार्य से अनुग्रह किया
तब राजा ने सबसे पहले बड़े भाई का भाग्य फल बताया और कहा की तुम पर बहुत बड़ा पहाड़ टूटने वाला है. आने वाले समय में विपत्तियों का सामना करना होगा. अब छोटे भाई की बारी आई तो बताया की अब तुम्हारे भाग्य का उदय होने वाला है. तुम्हारे जीवन में खुशियों का भण्डार लगने वाला है .उनकी बात सुनकर दोनों चले गए बड़ा भाई चिंतित सा रहने लगा पर अपने कर्म को नहीं भूला सोचा जो होगा तो देखा जाएगा.
उसी जगह छोटा भाई फूला न समाया इस भाग्य की बात को सुनते ही अपने कर्मों को भूल गया सोचा अब तो राज पाठ ही मिलेगा और गलत व्यसन, वासना करना शुरू कर दिया अब कुछ समय बाद जब राज पाठ मिलने के लिए राजा और प्रजा ने इन दोनों के कर्मों के आधार पर विचार किया तो बड़े भाई को स्थान मिला क्योंकि उसके कर्म अच्छे थे एक पल में उसका जीवन बदल गया
इसलिए कहा गया है की समय भले ही कितना लग जाए पर आपके अच्छे कर्मों से अच्छा फल अवश्य मिलता है और कर्म ही आपके भाग्य को बदल देता है .