
कुंडली के संतान से जुड़े कुछ योग, जिनसे मालूम होता है किसी व्यक्ति को संतान के संबंध में सुख मिलेगा या नहीं...
1. राहु और केतु अशुभ हो तो संतान को स्वास्थ्य के संबंध में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
2. चंद्रमा यदि क्षीण हो या पाप ग्रह से ग्रस्त हो तो संतान के संबंध ये अशुभ होता है।
3. कुंडली के द्वितीय भाव में चंद्रमा हो तो व्यक्ति को एक से अधिक पुत्र होने की संभावनाएं रहती हैं।
4. बुध, बृहस्पति और शुक्र सौभाग्य देते हैं। जबकि राहु और केतु दरिद्रता देते हैं। द्वितीय स्थान में स्थित मंगल हो तो पुत्र को अग्नि से बचाकर रखना चाहिए।
5. कुंडली के तृतीय भाव में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु या शुक्र हो तो धन और पुत्र सुख प्राप्त होता है। शनि, राहु और केतु जैसे पाप ग्रह भी तृतीय में धन देते हैं, लेकिन पारिवारिक सुख में कमी रहती है।
6.कुंडली के तृतीय भाव में मंगल हो तो व्यक्ति को छोटे भाई का साथ मिलता है।
7. कुंडली के चतुर्थ भाव में शुक्र, बुध, बृहस्पति और चंद्रमा सुख देते हैं। इस भाव में शनि हो तो वृद्धावस्था में दुख होगा। राहु और केतु हो तो पुत्र सुख में कमी रहती है।
8. कुंडली के पंचम भाव में सूर्य या मंगल हो तो गर्भपात का खतरा रहता है। इस भाव में चंद्रमा हो तो कन्या प्राप्त होने की संभावनाएं रहती हैं। यहां बुध, शुक्र, बृहस्पति हो तो एक से अधिक संतान होती हैं।