
सूर्यदेव को जल चढ़ाने की परंपरा आज की नहीं बल्कि वैदिक काल से ही चली आ रही है। सूर्य सभी ग्रहों के राजा माने गए हैं। वेदों, उपनिषदों व धार्मिक ग्रंथों में सूर्यदेव के महिमा का वर्णन मिलता है। पुराणों में सूर्यदेव की उपासना को सभी रोगों को दूर करने वाला बताया गया है। जानते हैं सूर्यदेव को जल चढ़ाने के लिए कौनसा समय है उपयुक्त और इससे क्या होते हैं लाभ
हर परेशानी से मिलेगा छुटकारा
शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय के समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके और शाम के समय पश्चिम की ओर मुख करके सूर्यदेव को जल चढ़ाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि सूर्य को जल चढ़ाते समय गिरने वाले जल वज्र बनकर रोग का विनाश करते हैं।
ज्योतिष शास्त्रों की मानें तो यदि आपके जन्मकुंडली में सूर्य ग्रह नीच के राशि तुला में है तो अशुभ फल से बचने के लिए हर दिन सूर्यदेव को जल देना चाहिए। साथ ही, जिनकी कुंडली में सूर्यदेव अशुभ ग्रहों जैसे शनि, राहु-केतु के प्रभाव में है तो वैसे व्यक्ति को भी नियमपूर्वक सूर्यदेव को जल अर्पण करना चाहिए। इतना ही नहीं, यदि कारोबार, नौकरी आदि में परेशानी हो रही हो तो सूर्यदेव की उपासना से सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
जल चिकित्सा के अनुसार सूर्योदय के समय सूर्यदेव को सिर के ऊपर तांबा का पात्र में जल लेकर अर्पित करना चाहिए। ऐसा करते समय अपनी दृष्टि जलधारा के बीच में रखें, ताकि जल से छनकर सूर्य की किरणें आंखों के बीच में पड़े, इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है।