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घर में हो रही अगर कलह तो निजात पाने के लिए करें ये कामघर में हो रही अगर कलह तो निजात पाने के लिए करें ये काम

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पहले पारिवारिक जीवन में बड़ी उम्र का व्यक्ति नेतृत्व करता था। वह जो बोलता था, आदेश बन जाता था और उसे मानना पड़ता था। समाज के और राष्ट्र के जीवन में भी ऐसा ही था कि नेतृत्व और निर्णय कुछ ही लोगों के हाथों में होता था। धीरे-धीरे समय बदला और परिवार में शक्ति व निर्णय के अनेक केंद्र बन गए। परिवार में जितने सदस्य हैं, सबकी अपनी-अपनी राय महत्वपूर्ण हो गई और परिणाम में कलह हाथ लगी। 

इसलिए कलह पैदा हो रही हो तो एक काम करते रहिएगा और वह है विकल्प का प्रयोग। यदि आपको कोई निर्णय लेना हो तो यह न मानें कि आपने जो कह दिया वही हो जाएगा। विकल्प खुले रखिए। यह समझें कि ऐसा होना चाहिए लेकिन, हो सकता है उससे सभी सहमत न हों। जब ऐसा मानते हैं कि हम विकल्प पर टिकेंगे तो हमारा अहंकार बाधा पहुंचाता है। सामने वाले अपने अहंकार के कारण आपकी राय नहीं मान रहे होंगे।

अहंकार टकराने से ही कलह आरंभ हो जाती है, इसलिए पारिवारिक जीवन में भक्ति बनाए रखिए। मैं हमेशा कहता हूं कि व्यावसायिक जीवन में भी भीतर के भक्त को खत्म न होने दें। आप कितने ही बड़े अधिकारी हों, प्रोफेशनल हों, अपने भीतर भक्ति बनाए रखें। जो भक्ति करता है वह हमेशा अपने ऊपर एक शक्ति को मानता है। भक्ति की शुरुआत होती है- ‘तू है, मैं कहीं भी नहीं’ से। यही है भक्ति का अर्थ। इसका समापन होता है ‘न मैं हूं न तू है’। जब इतना इन्वॉल्वमेंट होता है तो अहंकार गल जाता है। यदि कोई आपकी बात न माने या आपका मनपसंद काम न हो तो आप मान लेते हैं कि संभवत: भगवान को यही मंजूर होगा। यही आत्मस्वीकृति आपके अहंकार को गलाकर जीवन को कलह-मुक्त कर देती है।


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