
ऎसी मान्यता है कि हनुमान जी जब अपने गुरु सूर्य देव से शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। उस दौरान सूर्य देव ने हनुमान जी के सामने यह शर्त रख दी कि अब आगे कि शिक्षा तभी प्राप्त कर सकते हो जब तुम विवाह कर लो। कारण यह था कि जहां तक हनुमान जी शिक्षित हो चुके थे उसके आगे की शिक्षा अविवाहित व्यक्ति को नहीं दी जा सकती थी।
ऎसे में आजीवन ब्रह्मचारी रहने का प्राण ले चुके हनुमान जी के लिए दुविधा की स्थिति उत्पन्न हो गई। शिष्य को दुविधा में देखकर सूर्य देव ने हनुमान जी से कहा कि तुम मेरी पुत्री सुवर्चला से विवाह कर लो।
सुवर्चला तपस्विनी थी लेकिन पिता की आज्ञा के कारण सुवर्चला ने हनुमान जी से विवाह करना स्वीकार कर लिया। इसके बाद रीति रिवाज और वैदिक मंत्रों के साथ हनुमान जी का विवाह संपन्न हुआ।
यहाँ भगवान हनुमान को विवाहित मानकर उनकी पत्नी के साथ उन्हें पूजा जाता है