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अवसारी देवी : भोलेनाथ की माया से उत्पन्न उनकी बहनअवसारी देवी : भोलेनाथ की माया से उत्पन्न उनकी बहन

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पौराणिक गाथाओं में जब देवी पार्वती ने भगवान शिव से विवाह किया तो उनकी इच्छा थी कि काश उनकी भी एक ननद होती जिससे उनका मन लगा रहता। लेकिन भगवान शिव तो अजन्मे थे, इसी वजह से उनकी कोई बहन नहीं थी. ये बात पार्वती जी भली भाँती जानती थी इसलिए मन की बात मन में रख कर बैठ गईं। परंतु भगवान शिव तो ठहरे अन्तर्यामी, उन्होंने देवी पार्वती के मन की बात जान ली। उन्होंने पार्वती से पूछा कोई समस्या है देवी? तब पार्वती ने कहा कि काश उनकी भी कोई ननद होती।

भगवान शिव तो थे ही भोले भंडारी उन्होंने पार्वती से कहा की देवी ननद तो में ला सकता हू लेकिन आपकी उनके साथ नहीं बनेगी इस पर माता पार्वती जी ने कहा कि भला ननद से मेरी क्यों न बनेगी। भगवान शिव ने अपनी माया से एक देवी को उत्पन्न कर दिया जो बहुत ही मोटी थी, और उनके पैरों में दरारें पड़ी हुई थीं। भगवान शिव ने कहा कि यह लो तुम्हारी ननद आ गयी। इनका नाम असावरी देवी है।

देवी पार्वती की तो मन की मुराद पूरी हो गयी और वो अपनी ननद को देखकर बड़ी खुश हुईं। झटपट ही माता पार्वती अपनी ननद असावरी देवी के लिए भोजन बनाने लगीं। असावरी देवी स्नान करके आईं और खाना शुरू किया, तो पार्वती के भंडार में जो कुछ भी था सब खा गईं और महादेव के लिए कुछ भी नहीं बचा। इससे पार्वती दुःखी हो गईं। इसके बाद पार्वती देवी ने जब ननद को नए वस्त्र दिए, तो मोटी असावरी देवी के लिए वह वस्त्र छोटे पड़ गए। पार्वती उनके लिए दूसरे वस्त्र का इंतजाम करने लगीं।

इतना ही नहीं ननद रानी ने पैरों की दरारों में पार्वती जी को मज़ाक में छुपा लिया तो पार्वती जी का दम घुटने लगा। महादेव के पूछे जाने पर असावरी देवी ने झूठ बोला और हंसने लगीं और जमीन पर पांव पटक दिया। इससे पैर की दरारों में दबी देवी पार्वती बाहर आ गिरीं। इस मज़ाक से पार्वती जी क्रोधित हो उठी और भगवान शिव से कहा कि कृपया ननद को जल्दी से ससुराल भेजने की कृपा करें, मुझसे अनजाने ही बड़ी भूल हुई कि मैंने ननद की चाह की। इस पर भगवान शिव मुस्कुराये और असावरी देवी को कैलाश से विदा कर दिया।


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