
टीचर : मोहन चलो खड़े हो जाओ, असहिष्णुता पर एक निबंध सुनाओ
मोहन : टीचर जी असहिष्णुता 2 प्रकार की होती है एक अच्छी असहिष्णुता और दूसरी बुरी असहिष्णुता
टीचर : जरा विस्तार से सुनाओ
मोहन : टीचर जी अभी कुछ महीनों पहले उत्तरप्रदेश के दादरी में कुछ आतंकवादियों की भीड़ ने आक्रोश में आकर एक मासूम निर्दोष शांतिप्रिय अख़लाक़ को मौत के घाट उतार दिया, ये है बुरी असहिष्णुता क्योंकि इसका देश भर में विरोध हुआ, बहुत से बड़े बड़े साहित्यकारों ने विरोधस्वरूप अपने अवार्ड वापस कर दिए। कुछ ने तो अवार्ड के साथ मिले पैसे भी वापस किये, सभी सेक्युलर नेताओं ने भी उसका खूब विरोध किया, विरोध स्वरूप संसद का एक पूरा सत्र नही चलने दिया। सभी न्यूज़ चैनल्स ने अपने प्राइम टाइम पर इसे खूब चलाया, खूब डिबेट्स की, टीचर क्योंकि ये बहुत बुरी असहिष्णुता थी इतना ही नहीं इसने मेरे फेवरेट शाहरुख और आमिर तक को डरा दिया था इतना की इसकी वजह से वो लोग देश छोड़ने तक की बात करने लगे थे और तो और इनके बच्चे तक बहार नहीं निकल सकते थे ।
टीचर जी अभी अभी कुछ दिन पहले पश्चिम बंगाल के मालदा में एक आतंकवादी का विरोध कर रहे कुछ शांतिप्रिय लोगों की भीड़ ने आसपास की सभी जगहों में मारपीट की, राह चलते लोगों को लूट लिया दुकानों और मकानों को आग लगा दी, पुलिस पर पथराव किया उनको दौड़ा दौड़ाकर मारा यहाँ तक की उनकी गाड़ियाँ तक जला दी पर इस पर किसी नेता या पत्रकार ने इसकी सुध नही ली, ना ही किसी क्रांतिकारी न्यूज़ चैनल ने इस पर कोई डिबेट नही करवाई । किसी साहित्यकार ने अपना बहुमूल्य अवार्ड वापस नही किया न ही पैसे वापसी की बात कहीं ।
देश की संसद में भी इसपर कोई बवाल नही हुआ । किसी बॉलीवुड स्टार को इससे देश में कोई दिक्कत नही हुई अब उनके बच्चों को भी बाहर निकलने में कोई डर नही लगा। इससे तो यही साबित होता है कि ये अच्छी असहिष्णुता है । क्योंकि इसने किसी को भी तंग नही किया ।
टीचर : शाबाश मोहन बैठ जाओ, चलो अब सभी बच्चे ताली बजाओ !
बच्चो क्या आप सब भी सहमत हे इस अच्छी असहिष्णुता से ?