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क्या आप जानते है भगवान शिव के पुत्रो के बारे में ये सचक्या आप जानते है भगवान शिव के पुत्रो के बारे में ये सच

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हम सभी भगवान शिव और माता पार्वती के दो पुत्र कार्तिक और गणेश की ही कथा सुनते आये हैं। लेकिन शिव और पार्वती के विवाह और उनसे होने वाले पुत्रों के पीछे भी एक रोचक कहानी हैं। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव का विवाह ब्रह्मा के दूसरे पुत्र दक्ष की पुत्री सती से हुआ था। लेकिन सती ने आग में कूद कर स्वयं को भस्म कर लिया था। सती की मृत्यु के बाद सती ने अपना दूसरा जन्म पर्वतराज हिमालय के यहाँ उमा के रूप में लिया, जिनसे भगवान शिव का विवाह हुआ और हिमालय की पुत्री उमा ही 'पार्वती' के नाम से विख्यात हुई। शिव-पार्वती के विवाह के बाद उनका गृहस्थ जीवन शुरू हुआ और उन्हें पुत्र प्राप्त हुए।

गणेश: भगवान गणेश के जन्म की कथा लगभग सभी जानते हैं। माता पार्वती ने अपने उपटन और चन्दन के मिश्रण से गणेश जी की उत्पत्ति की और उसके बाद स्नान करने गयी थी। माता पार्वती का आदेशा था कि स्नान करने तक गणेश किसी को भी घर में प्रवेश न करने दे। लेकिन माता की आज्ञानुसार गणेश जी ने भगवान् शिव को भीतर जाने से रोक दिया। इस बात से क्रोधित भगवान शिव ने गणेश का सर धढ़ से अलग कर दिया। अपने पुत्र की मृत्य से पार्वती दुखी नाराज़ हुई। तब भगवान् शिव ने कटे सर की जगह हाथी के बच्चे का सर लगा कर गणेश जी को पुन:जीवित किया।

कार्तिक: स्कन्द पुराण की रचना कार्तिक जी के चरित्र पर की गई थी। कहते हैं कि सती की मृत्यु के बाद भगवान् शिव दुखी हो कर लम्ंबी तपस्या में बैठ गए, जिससे दैत्यों का आतंक पूरी दुनिया में बढ़ गया। ऐसे में सभी देवतागण भगवान् ब्रह्मा के पास उपाय मांगने जिस पर ब्रह्म देव ने कहा था कि शिव और पार्वती से जन्मा पुत्र इस समस्या का समाधान करेगा और शिव पार्वती के विवाह के बाद कार्तिक का जन्म हुआ था।

सुकेश: यह शिव पार्वती का तीसरा पुत्र था, लेकिन असल में सुकेश शिव-पार्वती का नहीं बल्कि विदुय्त्केश और सालकंठकटा का पुत्र था जिसे दोनों ने लावारिश छोड़ दिया था। भगवान शिव और पार्वती जब इस बालक को ऐसे असुरक्षित पाया तो अपने साथ ले आये और उस बालक का पालन पोषण किया था।

जलंधर: जलंधर भगवान शिव से निकला चौथा पुत्र था। भगवान शिव ने अपना तेज़ समुद्र में फेक दिया था जिससे जलंधर का जन्म हुआ था। उसमे भगवान शिव के समान ही शक्ति थी और अपनी पत्नी वृंदा के पतिव्रता धर्म के कारण वह इतना शक्तिशाली हो गया था कि उसने इंद्र को भी हरा कर तीनों लोकों में अपना कब्ज़ा जमा लिया। तीन लोक के बाद उसने विष्णु को हरा कर बैकुंठ धाम पर भी अपना अधिकार चाहता था पर लक्ष्मी जी को अपनी बहन स्वीकारने के बाद वह बैकुंठ धाम से कैलाश को जीतना चाहा। भगवान शिव और जलंधर के बीच हुए युद्ध में जब उस पर किसी तरह के वार का असर नहीं हुआ, तब भगवान विष्णु ने जलंधर की पत्नी वृंदा का पतिव्रत धर्म तोड़ कर उसकी मृत्यु सुनिश्चित की थी।

अयप्पा: अयप्पा भगवान शिव और मोहिनी का रूप धारण किये भगवान विष्णु के पुत्र थे। जब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया था तो उनकी मादकता से भगवान शिव का वीर्यपात हो गया था और उस वीर्य से इस बालक का जन्म हुआ। दक्षिण भारत में अयप्पा देव की पूजा की जाती हैं। अयप्पा देव को 'हरीहर पुत्र' के नाम से भी जाना जाता हैं।

भूमा: भगवान शिव एक बार जब तपस्या कर रहे थे तब उनके शरीर से पसीने की बूँदे धरती पर गिरी। इन बूदों से पृथ्वी ने एक चार भुजाओं वाले बालक को जन्म दिया था। जो भूमा के नाम से विख्यात हुआ, बाद में यही भूमा मंगल लोक के देवता के नाम सी भी जाना गया।


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