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आखिर गणेश जी को विघ्नविनाशक क्यों कहा जाता हैआखिर गणेश जी को विघ्नविनाशक क्यों कहा जाता है

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कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत हो, तो हिंदू धर्म के अनुयायी भगवान श्रीगणेश की पूजा सर्वप्रथम करते हैं। भगवान श्रीगणेश बुद्धि के देवता हैं। जीवन के हर क्षेत्र में गणपति विराजमान हैं।

शास्त्रों में कहा गया है कि गणपति सब देवताओं में अग्रणी हैं। गणेशजी अपने आपमें संपूर्ण वास्तु हैं। इसलिए गणेशजी को विघ्नविनाशक कहा जाता है।

उनके शरीर का हर हिस्सा किसी न किसी ग्रह के दोष को दूर करता है। हमारे पुराणों में कहा गया है कि हमें श्वेत गणपति की पूजा करनी चाहिए। इससे जीवन में भौतिक सुख एवं समृद्धि का प्रवाह होता है। मूषक जासूसी से सूचनाएं एकत्र करने का प्रतीक है।

यह राहु के दोष को भी दूर करता है। भगवान गणेशजी के हाथी जैसे मुख की अलग ही मान्यता है। गणेश का गजमुख बुद्धि का अंकुश, नियंत्रण, अराजक तत्वों पर लगाम लगाने का प्रतीक माना जाता है।

ऐसे देवाधिदेव श्रीगणेश की हम सही मंत्रोच्चार द्वारा पूजा-अर्चना कर हमारे घर के वास्तु दोष को दूर करके सुखी, संपन्न जीवन पा सकते हैं।

कुछ वास्तु टिप्स इन्हें जरूर आजमाएं

घर में यदि पूजा के दो स्थान हैं, उस घर के मुखिया के पास एक से अधिक सम्पत्ति होती है और उस घर के बेटे की आमदनी के स्रोत भी दो होते हैं।
घर का ईशान कोण वाला भाग नैऋत्य कोण के भाग की तुलना में नीचा होना चाहिए। ईशान ऊंचा होने से गृहस्वामी को आर्थिक संकट आते रहते हैं।

भवन की उत्तर, पूर्व दिशा एवं ईशान कोण में भूमिगत पानी की टंकी, कुआं या बोर होना बहुत शुभ होता है, इससे आर्थिक संपन्नता आती है। उपरोक्त दिशाओं के अलावा अन्य किसी भी दिशा में या कोण में होना अशुभ होकर आर्थिक कष्ट का कारण बनता है।


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