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भगवान शिव पत्र-पुष्पादि से ही हो जाते हैं प्रसन्नभगवान शिव पत्र-पुष्पादि से ही हो जाते हैं प्रसन्न

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पुराणों में मत है कि श्रावण मास में शिवजी को बिल्वपत्र चढ़ाने से तीन जन्मों के पापों का नाश होता है। इसके अतिरिक्त कच्चा दूध, सफेद फल, भस्म, भांग, धतूरा, श्वेत वस्त्र उन्हें अधिक प्रिय होने के कारण अर्पित किए जाते हैं। भगवान शिव पत्र-पुष्पादि से ही प्रसन्न हो जाते हैं।

अन्य देवों की अपेक्षा वे जल्दी प्रसन्न होते हैं और अमोघ कृपा देते हैं। शनि की अन्तरदशा और साढ़ेसाती से छुटकारा पाने के लिए श्रावण मास में भगवान भोलेनाथ का पूजन श्रेष्ठ मार्ग है। संसार में शिव ही ऐसे देव हैं जो बिल्व पत्र और जलाभिषेक से प्रसन्न होकर मनचाहा वर देते हैं।

अर्पण से प्राप्ति तक

श्रावण मास में भगवान शिव का विभिन्न द्रव्यों से अभिषेक करने पर अक्षय रूप में वे प्राप्त होती हैं। जैसे भगवान शिव को जल अर्पित करने पर वर्षा जल की प्राप्ति, दूध अर्पित करने पर संतान की प्राप्ति, गन्ने का रस अर्पित करने पर धन और धान्य, शहद और घी अर्पित करने पर धन की प्राप्ति कुश से जल अर्पित करने पर शांति की प्राप्ति होती है।

शिव को प्रसन्न करने के मंत्र

-ऊं नम: शिवाय

पंचाक्षर मंत्र जिससे शिव सर्वदा प्रसन्ना होते हैं।

-त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेम् च त्रयायुधम्।

त्रिजन्मपापसंहारमेक बिल्वं शिवार्पणम्।।

इस मंत्र के साथ शिव को बिल्व पत्र अर्पित करें।

-ऊं मृत्युंजयाय रुद्राय त्राहिमाम् शरणागतं।

जन्ममृत्यु जराव्याधि पीड़ितय् कर्मवन्ध्नै।।

मंत्र में शिव से समस्त बंधनों से मुक्ति की प्रार्थना है।

-ऊं भूर्भुव: स्व ऊं हौं जूं स: ऊं।

यह बीज मंत्र है तो तत्काल फल देता है।


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