Quantcast
Channel: Newstracklive.com | suvichar
Viewing all articles
Browse latest Browse all 13839

देवी के सृजन की कहानीदेवी के सृजन की कहानी

$
0
0

जब हम स्त्रैण या स्त्रियोचित की बात करते हैं, तो इसका संबंध स्त्री होने से नहीं होता। स्त्री होना एक शारीरिक चीज है। स्त्रियोचित होना शरीर से जुड़ा हुआ नहीं है, यह उससे कहीं अधिक है। हमारी संस्कृति में स्त्रियोचित गुणों का बहुत गुणगान और सम्मान किया गया है। लेकिन दुर्भाग्य से इसी संस्कृति मे स्त्रियोचित गुणों का शोषण भी हुआ है।

स्त्रियोचित प्रकृति का वर्णन करने के लिए शुरुआती शब्द ‘री’ था। ‘री’ शब्द का संबंध देवी मां से है और यह बाद में आए ‘स्त्री’ शब्द का आधार है। ‘स्त्री’ का मतलब है महिला। ‘री’ शब्द का अर्थ गति, संभावना या ऊर्जा है।

सृष्टि में सबसे पहले स्त्रियोचित प्रकृति पैदा कैसे हुई? इसके पीछे यह कहानी है। जब अस्तित्व अपनी शुरुआती अवस्था में ही था, तो अस्तित्व के लिए हानिकारक शक्तियां सिर उठाने लगीं और उस के लिए खतरा बन गईं। इससे चिंतित होकर तीनों प्रमुख देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश मिले। ये तीनों देवता तीन अलग-अलग गुणों के प्रतीक हैं। उन्हें समझ आ गया कि इन तीनों गुणों का एक संयोग जरूरी है। इसलिए तीनों ने अपनी पूरी ताकत से सांस छोड़ी और अपना बेहतरीन गुण बाहर निकाला। इन तीनों शक्तियों से निकली सांस एक साथ मिलकर स्त्रीगुण या देवी बन गया। इसलिए देवी वह आकाश है जो अस्तित्व में तीनों मूलभूत शक्तियों को थामे रखती हैं। इसी शक्ति को हम ‘दे-वी’ कहते हैं।


Viewing all articles
Browse latest Browse all 13839

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>