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ज़माने में जीना चाहते है तो पहले मरना सीखेज़माने में जीना चाहते है तो पहले मरना सीखे

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एक गांव में एक आदमी ने एक तोते को कैंद कर एक पिंजरे में बन्द कर दिया, तोते को मुक्ति का कोई मार्ग नहीं मिल पा रहा था । एक बार जब वह आदमी किसी काम से दूसरे गांव जा रहा था, तो उसके तोते को याद आया की उस गावँ में तो उसके परिवार का बुजुर्ग और उसका गुरु रहता है । तोते ने उस आदमी से कहा मालिक, जहाँ आप जा रहे हैं वहाँ मेरा गुरु-तोता रहता है । उसके लिए मेरा एक संदेश ले जाएंगे ? क्यों नहीं? उस आदमी ने जवाब दिया, तोते ने कहा मेरा संदेश है आजाद हवाओं में सांस लेने वालों के नाम एक बंदी तोते का सलाम।

वह आदमी दूसरे गांव पहुँचा और वहाँ उस गुरु-तोते को अपने प्रिय तोते का संदेश बताया। संदेश सुनकर गुरु-तोता तड़पा, फड़फड़ाया और मर गया जब वह आदमी अपना काम समाप्त कर वापस घर आया, तो उस तोते ने पूछा कि क्या उसका संदेश गुरु तोते तक पहुँच गया था, आदमी ने तोते को पूरी कहानी बताई कि कैसे उसका संदेश सुनकर उसका गुरु तोता तत्काल मर गया था । यह बात सुनकर वह तोता भी तड़पा, फड़फड़ाया और मर गया। उस आदमी ने बुझे मन से तोते को पिंजरे से बाहर निकाला और उसका दाह-संस्कार करने के लिए ले जाने लगा,

जैसे ही उस आदमी का ध्यान थोड़ा भंग हुआ, वह तोता तुरंत उड़ गया और जाते जाते उसने अपने मालिक को बताया मेरे गुरु तोते ने मुझे संदेश भेजा था कि अगर आजादी चाहते हो तो पहले मरना सीखो मित्रों यह कथा भी यही सन्देश देती है कि अगर वास्तव में आज़ादी की हवा में साँस लेना चाहते हो तो उसके लिए निर्भय होकर मरना सीख लो क्योकि साहस की कमी ही हमें झूठे और आभासी पिंजरे में कैद कर के रखती हैं

 

 


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